नई दिल्ली: हाल ही में एक अध्ययन में दावा किया गया कि कोविड-19 के कारण भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 2.6 साल कम हो गई है. इस अध्ययन पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट गलत और पक्षपातपूर्ण है. मंत्रालय ने बताया कि रिपोर्ट केवल 14 राज्यों के डेटा पर आधारित है और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पूरे डेटा का उपयोग नहीं किया गया.
मंत्रालय ने बताया कि 99% मौतें भारत में नागरिक पंजीकरण प्रणाली द्वारा दर्ज की गई हैं, और 2019 की तुलना में मृत्यु पंजीकरण में वृद्धि सामान्य है. 2019 की तुलना में मौत के पंजीकरण में 4 लाख 74 हजार की वृद्धि हुई है. ये वृद्धि केवल कोरोना महामारी के कारण नहीं हुई है, ये मौतें पिछले सालों के लगभग समान ही हैं.
साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुई रिसर्च को सरकार ने पूरी तरह नकार दिया है. मंत्रालय ने रिसर्च के दौरान हुई गलतियों भी गिनाते हुए कहा,”रिसर्चकर्ताओं ने पूरे देश में मृत्यु दर का अुमान लगाने के लिए साल 2021 जनवरी से अप्रैल के बीच राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के परिवारों का डेटा का उपयोग किया है. ये डेटा उसी हालत में सही हो सकता था जब शोधकर्ता सर्वेक्षण डेटा का पूरी तरह उपयोग करते. मंत्रालय ने दावा किया कि ये डेटा केवल 14 राज्यों के 23 प्रतिशत परिवारों का है, इतने कम डेटा का उपयोग करने से सटीक रिपोर्ट नहीं निकल सकती है.
साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत में 2019 और 2020 के दौरान औसत आयु 2.6 साल कम हो गई. अध्ययन के अनुसार सामाजिक रूप से वंचित समुहों और मुसलमानों की आयु में कमी आई है. इसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक गिरावट देखी जा रही है.
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