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कैसे होता है भूस्खलन? जानिए इसके आने के संकेत और बचाव के तरीके

Kerala Landslide: केरल के वायनाड में मंगलवार सुबह चूरलमाला और मुंडक्कयी में भारी बारिश के बीच भूस्खलन के बाद करीब 70 लोगों की मौत हो गई और 400 से ज्यादा लोग अब भी लापता है। भूस्खलन और बारिश ने 4 गांवों को उजाड दिया है। शायद ही किसी ने उम्मीद की होगी कि भूस्खलन के कारण […]

Kerala Landslide
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  • Last Updated: July 30, 2024 14:39:44 IST

Kerala Landslide: केरल के वायनाड में मंगलवार सुबह चूरलमाला और मुंडक्कयी में भारी बारिश के बीच भूस्खलन के बाद करीब 70 लोगों की मौत हो गई और 400 से ज्यादा लोग अब भी लापता है। भूस्खलन और बारिश ने 4 गांवों को उजाड दिया है। शायद ही किसी ने उम्मीद की होगी कि भूस्खलन के कारण स्थिति इतनी गंभीर हो जाएगी।

ऐसे में सवाल उठता है कि भूस्खलन कैसे होता है? क्या भूस्खलन के संकेत पहले से नहीं मिलते। तो आपको बता दें कि भूस्खलन से पहले पांच प्रमुख संकेत मिलते हैं, जिन्हें अगर आप महसूस कर लें तो आप अपने परिवार की जान बचा सकते हैं।

कैसे होता है भूस्खलन?

भारी वर्षा, बाढ़ या भूकंप आने से मिट्टी की पकड़ कमज़ोर हो जाती है। इससे चट्टान या मिट्टी के कणों को आपस में जोड़ने वाले ‘गोंद’ की शक्ति कम हो जाती है। ढलान पर स्थित होने के कारण चट्टान इतनी मज़बूत नहीं रह जाती कि उस पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल को रोक सके। जिससे भूस्खलन की स्थति पैदा होती है।

ये हैं भूस्खलन के पांच प्रमुख संकेत 

  • अगर आपको लकड़ी टूटने या चटकने, पत्थरों के टकराने, जमीन हिलने या अन्य असामान्य आवाजें सुनाई दें और ये आवाजें बढ़ती जाएं, तो भूस्खलन की संभावना है।
  •  तेज भूस्खलन से जमीन में तेज गड़गड़ाहट और कंपन पैदा होता है, ऐसा लगता है जैसे कोई मालगाड़ी गुजर रही हो। ऐसी स्थिति में भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है।
  • इसके अलावा अगर आप किसी जलधारा के पास हैं, तो पानी का स्तर अचानक बदलने लगता है। खास तौर पर तेज या लंबे तूफान के दौरान या उसके तुरंत बाद।
  • किसी इमारत का अपनी नींव से अलग हो जाना या नींव से मिट्टी का खिसक जाना भी भूस्खलन का संकेत है।
  • खिड़कियों या दरवाजों का टूटना या दीवारों, छतों या नींव में नई दरारें आना भी भूस्खलन का संकेत है।

बचाव के उपाय

जब भी आपको भूस्खलन के संकेत मिलें, तो सबसे पहले अपने स्थानीय अधिकारियों को इसकी सूचना दें। आपको तुरंत अपने परिवार के साथ उस जगह को छोड़ देना चाहिए जहां भूस्खलन होने की संभावना है। अगर आप भूस्खलन से प्रभावित किसी इमारत में हैं, तो खाली इमारत में रहने से बचे या इमारत की सबसे ऊंची मंजिल पर चले जाएं या भूस्खलन खत्म होने तक काउंटरटॉप पर चढ़ जाएं।

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