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बेहद खतरनाक है गरुड़ पुराण में बताई गई ये पाप की नदी, देती है बुरे कर्मों की सजा

नई दिल्ली: गरुड़ पुराण, हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, जो जीवन और मृत्यु से जुड़े कई रहस्यों को उजागर करता है। इस पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और उसके कर्मों के आधार पर उसे प्राप्त होने वाले फल के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें कई […]

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  • Last Updated: September 25, 2024 14:59:55 IST

नई दिल्ली: गरुड़ पुराण, हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, जो जीवन और मृत्यु से जुड़े कई रहस्यों को उजागर करता है। इस पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और उसके कर्मों के आधार पर उसे प्राप्त होने वाले फल के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें कई प्रकार की सजा और स्वर्ग-नरक के विवरण मिलते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है पापियों के लिए ‘वैतरणी नदी’ का जिक्र।

वैतरणी नदी का महत्व

गरुड़ पुराण के अनुसार, वैतरणी नदी मृत्यु के बाद आत्मा के उस मार्ग का हिस्सा है, जिसे पापी आत्माओं को पार करना होता है। यह नदी पापी और बुरे कर्म करने वाले लोगों के लिए अत्यधिक कठिनाई उत्पन्न करती है। मान्यता है कि इस नदी का पानी पापियों को देखकर उबलने लगता है और उनके लिए इसे पार करना लगभग असंभव हो जाता है।यह नदी केवल उन्हीं के लिए सरल हो सकती है, जिन्होंने अपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं और धर्म के मार्ग पर चले हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि इस नदी को पार करने के लिए आत्मा को अपने कर्मों के फल भुगतने होते हैं।

पाप और दंड का संबंध

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो लोग जीवन में बुरे कर्म करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद कड़ी सजा भुगतनी पड़ती है। वैतरणी नदी उनके पापों का प्रतीक है, जिसे पार करना कठिन होता है। यह नदी केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि यह बताती है कि पाप के बाद आत्मा को किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बुरे कर्म करने वालों को इस नदी में खौलते हुए पानी, खून और मांस के बीच से गुजरना पड़ता है।

नदी का प्रतीकात्मक अर्थ

वैतरणी नदी को असल में पाप और बुराई का प्रतीक माना जा सकता है। यह जीवन में किए गए बुरे कर्मों का नतीजा है, जो मृत्यु के बाद आत्मा को भुगतने पड़ते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को इस नदी को पार करने में कोई कठिनाई नहीं होती, जबकि पापी आत्माएं इसमें फंस जाती हैं।

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