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आज है दत्तात्रेय जयंती, जानिए इस विशेष दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

आज, 14 दिसंबर 2024 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर दत्तात्रेय जयंती मनाई जा रही है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त अवतार माना जाता है।

Dattatreya Jayanti
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  • Last Updated: December 14, 2024 09:56:26 IST

नई दिल्ली: आज, 14 दिसंबर 2024 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर दत्तात्रेय जयंती मनाई जा रही है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त अवतार माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। उनकी पूजा जीवन में ज्ञान, सुख-शांति और समृद्धि लाने वाली मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ करने से और उपवास का पालन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं

दत्तात्रेय जंयती पूजा का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार 14 दिसंबर को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी। इसका 15 दिसंबर दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर समापन होगा। इसलिए 14 दिसंबर को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाएगी। वहीं भगवान दत्तात्रेय की पूजा गोधूलि मुहूर्त में की जाती है जिसकी शुरुआत शाम 5 बजकर 23 मिनट पर होगी और समापन 5 बजकर 51 मिनट पर होगा।

पूजा विधि

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
3. गंगाजल से मूर्ति का अभिषेक करें और सफेद चंदन का तिलक करें।
4. भगवान को फूल, मिठाई और तुलसी दल अर्पित करें।
5. पंचामृत और गंगाजल चढ़ाने के बाद भगवान की आरती करें।
6. दत्तात्रेय मंत्र का जाप और अवधूत गीता का पाठ करना शुभ माना जाता है।
7. जरूरतमंदों को दान करना विशेष फलदायी होता है।

दत्तात्रेय जंयती पूजा का महत्व

दत्तात्रेय जयंती दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में विशेष रूप से मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय को ज्ञान के प्रतीक और आदर्श गुरु माना गया है। भगवान दत्तात्रेय तीन मुख धारण करते हैं। यह दिन ध्यान, व्रत और आत्मचिंतन के लिए आदर्श है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। भगवान दत्तात्रेय के पिता महर्षि अत्रि थे और इनकी माता का नाम अनुसूया था। भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। भगवान दत्तात्रेय ने प्रकृति, मनुष्य और पशु-पक्षी सहित चौबीस गुरुओं का निर्माण किया था। मान्यता है कि इनके जन्मदिवस पर इनकी पूजा करने से और उपवास रखने से शीघ्र फल मिलते हैं और भक्तों को कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

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