नई दिल्ली: एक विवाहिता द्वारा तलाक के बाद पति से 40 लाख रुपये गुजारा भत्ता मांगने का मामला अब चर्चा का विषय बन गया है। इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें कोर्ट महिला के वकील को फटकार लगाते हुए कह रहा है कि यह कोई जबरन वसूली का मामला नहीं है और वे इस मामले को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को समझौता करने की सलाह दे रहे हैं.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की एक महिला की शादी 15 साल पहले BHEL में इंजीनियर के पद पर कार्यरत एक शख्स से हुई थी. लेकिन ये शादी कुछ ही दिनों तक चल पाई और महिला अपने पति के साथ ससुराल में सिर्फ 7 दिन और 1 महीने ही रही, जिसके बाद वह वापस अपने मायके चली गई. शादी टूटने के बाद महिला ने अपने पति के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए और गुजारा भत्ता के तौर पर 40 लाख रुपये की मांग की. महिला ने कहा कि शादी के दौरान उसे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, इसलिए इस बड़ी रकम पर उसका हक है.
7 दिन साथ में रहे. महिला ने 40 लाख रुपए Maintenance मांग लिए, सुनकर जज भी हुए Shocked pic.twitter.com/IXeLU5WoXa
— Brij Dwivedi (@Brij17g) December 18, 2024
वहीं शुरुआत में लड़के पक्ष ने 15 लाख रुपये देकर मामला निपटाने की पेशकश की, लेकिन महिला इस पर राजी नहीं हुई और 40 लाख रुपये से कम पर समझौता करने से इनकार कर दिया। इसके बाद लड़के पक्ष ने 30 लाख रुपये की पेशकश की, लेकिन महिला इस पर भी अड़ी रही और 40 लाख रुपये की मांग करती रही. मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो जज ने मामले की सुनवाई के दौरान महिला के वकील को कड़ी फटकार लगाई.
जज ने कहा कि जब लड़का पक्ष 30 लाख रुपये देने को तैयार है तो फिर इतनी जिद क्यों है कि 40 लाख रुपये ही चाहिए? वहीं कानून को वसूली का जरिया नहीं बनाया जा सकता. रिकवरी का कोई मामला नहीं है. अगर आप इस बात से सहमत नहीं हैं तो हम इसे इर्रीट्रीवेबल ब्रेकडाउन ऑफ मैरिज (जो एक ऐसा मामला है जिसमें शादी का टूटना मान लिया जाता है और फिर सुलह की कोई संभावना नहीं होती) में डाल देंगे।
वहीं इस पर दोनों पक्ष मामले को सुलझाने पर सहमत हुए और कानूनी लड़ाई खत्म करने की दिशा में कदम उठाया. ”Irritrievable breakdown of marriage’ एक कानूनी स्थिति है जब अदालत मानती है कि विवाह को बचाया नहीं जा सकता है और दोनों के बीच सुलह संभव नहीं है।
वहीं ऐसे मामलों में अदालत सुलह की सभी कोशिशों को असफल मानती है और तलाक को अंतिम रूप दे देती है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब दोनों पक्षों के बीच समाधान या सुधार की कोई संभावना नहीं होती है। कोर्ट की इस सुनवाई की एक क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसमें जज ने दोनों पक्षों को समझाते हुए कहा, ‘यह वसूली का मामला नहीं है, बस समझौता कर लीजिए।’ यह क्लिप तेजी से वायरल हो रही है और लोग इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
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