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भारत में गधा मजदूरी के विरुद्ध क्या है नियम, ओवरटाइम करने पर कितना मेहनताना?

हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी, जिससे वर्किंग ऑवर्स और कंपनियों के वर्क कल्चर को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई। आइए आपको बताते है कि वर्किंग ऑवर्स और ओवरटाइम को लेकर भारत देश में क्या नियम है.

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  • Last Updated: January 11, 2025 13:22:37 IST

नई दिल्ली: हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी, जिससे वर्किंग ऑवर्स और कंपनियों के वर्क कल्चर को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई। इससे पहले इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। इसी बीच आइए आपको बताते है कि वर्किंग ऑवर्स और ओवरटाइम को लेकर भारत देश में क्या नियम है, साथ ही अगर नियमों का पालन न किया तो उनके खिलाफ क्या एक्शन लिया जा सकता है.

कितने घंटे काम करने का नियम

भारत में फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 के तहत एक दिन में अधिकतम 8-9 घंटे और हफ्ते में 48 घंटे काम करने का प्रावधान है। इसके अलावा ओवरटाइम के मामले में हफ्ते में अधिकतम 60 घंटे तक काम कराया जा सकता है। इसके साथ ही कानून के तहत ये भी अनिवार्य है कि लगातार पांच घंटे काम के बाद एक घंटे का ब्रेक दिया जाए।

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ऑफिस और दुकानों के नियम

देश के अलग-अलग राज्यों में लागू शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट्स एक्ट के तहत कार्यालयों और दुकानों में 9 घंटे प्रतिदिन काम करने और प्रति सप्ताह 48 घंटे काम करने का नियम है. फैक्ट्रीज एक्ट की धारा 59 के मुताबिक, किसी कर्मचारी को रोजाना 9 घंटे या हफ्ते में 48 घंटे से अधिक काम करने पर सामान्य वेतन से दोगुनी मजदूरी दी जानी चाहिए। आईटी और सेवा क्षेत्र में भी यह नियम लागू होता है।

कानून उल्लंघन पर कार्रवाई

अगर नियोक्ता श्रम कानून का उल्लंघन करते हैं, तो उनके खिलाफ फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 की धारा 92 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें दो साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं बार-बार उल्लंघन पर कंपनी का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। वहीं अगर किसी कर्मचारी को नियमों के विरुद्ध काम कराया जाता है या ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया जाता है, तो वह श्रम आयुक्त कार्यालय या श्रम न्यायालय में शिकायत दर्ज करा सकता है। बता दें श्रम संहिता-2020 में काम के घंटे बढ़ाकर 12 करने की बात कही गई है, लेकिन कुल साप्ताहिक घंटे 48 ही रखे गए हैं। वहीं इन कानून को लागू करना राज्य सरकार के हाथों में है.

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