नई दिल्ली: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मंगलवार को बैठक होगी। यह मुलाकात एक ऐसे समय में हो रही है, जब नेतन्याहू पर सरकार को समर्थन दे रहे दक्षिणपंथी दलों की ओर से हमास के साथ युद्धविराम खत्म करने का दबाव बढ़ रहा है। वहीं, बड़ी संख्या में इज़रायली नागरिक युद्ध से थक चुके हैं और संघर्ष समाप्त करने के पक्ष में हैं। ट्रंप युद्धविराम के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर सतर्क हैं, हालांकि उन्होंने हमास और इज़राइल पर बंधकों को छोड़ने और युद्धविराम समझौते के लिए दबाव बनाने का श्रेय लिया, जो उनके पद संभालने से पहले लागू हुआ था।
ट्रंप ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि शांति बनी रहेगी। इस बैठक में इज़राइल और सऊदी अरब के बीच संबंधों के सामान्य होने पर चर्चा की संभावना है, साथ ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंताओं पर भी बात हो सकती है। लेकिन बंधक समझौते के दूसरे चरण को अंतिम रूप देना मुख्य एजेंडे में रहेगा।
नेतन्याहू का यह वॉशिंगटन दौरा ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में किसी विदेशी नेता का पहला दौरा है। हाल के समय में नेतन्याहू को प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है और वे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते एक मुकदमे में उलझे हुए हैं। हालांकि, नेतन्याहू ने इन आरोपों का खंडन किया है।
नेतन्याहू को ट्रंप के साथ से जनता का ध्यान इस मुकदमे से हटाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इज़राइल में काफी लोकप्रिय माने जाते हैं। नवंबर में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) ने नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री के खिलाफ गाजा युद्ध के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था और यह नेतन्याहू की देश से बाहर यह पहली यात्रा है। नेतन्याहू और ट्रंप के पश्चिम एशिया के दूत स्टीव विटकॉफ ने सोमवार को युद्धविराम समझौते के अगले चरण की मध्यस्थता का कठिन कार्य शुरू किया। नेतन्याहू ने एक बयान में कहा कि विटकॉफ और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज के साथ उनकी बैठक ‘सकारात्मक और मैत्रीपूर्ण’ रही.
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