नई दिल्ली: मुस्लिम देश पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत किसी से छुपी नहीं है, उनकी हालत बद से बदतर हो गई है. पाकिस्तान से कई बार हिंदू अल्पसंख्यकों को लेकर परेशान करने वाली खबरें सामने आती रहती हैं. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि पाकिस्तान में हिंदुओं का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है? जिस तरह भारत में हिंदू समुदाय के लोग गंगा में अस्थियां विसर्जित करते हैं, उसी तरह पाकिस्तान में किस नदी में अस्थियां विसर्जित की जाती हैं?
हिंदू समुदाय में मृत्यु के बाद दाह संस्कार का रूल है. दाह संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जित कर दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि अस्थियां विसर्जन के बाद मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों को अस्थियों के विसर्जन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.
पाकिस्तान में हिंदुओं के दाह संस्कार पर कोई रोक नहीं है. मुस्लिमों की तरह पाकिस्तान सरकार ने हिंदुओं को भी दाह संस्कार के लिए कई जिलों में जमीन आवंटित की है. यहां कराची के ल्यारी में हिंदुओं का सबसे बड़ा श्मशान घाट बना हुआ है. बताया जाता है कि इस श्मशान घाट का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था. हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में दाह संस्कार की सामग्री काफी महंगी है और हर जिले में उपलब्ध नहीं है, इसलिए हिंदू समुदाय के लोगों को मृतकों को दफनाना पड़ता है. हालांकि, उनकी प्रक्रिया मुसलमानों से काफी अलग है. हिंदू शव को बिस्तर पर रखकर दफनाते हैं. शव को दफनाने के बाद उसके ऊपर शंकु के आकार की समाधि बनाई जाती है.
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोगों का अंतिम संस्कार कर उनकी राख को वहां की नदियों में विसर्जित कर दिया जाता है. हालांकि, गंगा में अस्थियों के विसर्जन के लिए उन्हें काफी इंतजार करना पड़ता है. कई हिंदू परिवार चाहते हैं कि उनके पूर्वजों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जाएं. ऐसे में अस्थियों को भारत लाने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
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