नई दिल्ली: दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्य सचिव ने एक आधिकारिक नोटिस जारी किया है. नोटिस में सरकार के अधीन सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वे अपने यहां कार्यरत नॉन ऑफिशियल स्टाफ की सूची तैयार कर जल्द से जल्द सौंपें। जानकारी के अनुसार, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार में विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में नॉन ऑफिशियल स्टाफ की नियुक्तियां की गई थीं। अब जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिल्ली में बहुमत के साथ सरकार बनाई है, ऐसे में इन कर्मचारियों की भूमिका और नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि नई सरकार बनने के बाद इन कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सकती है और संभव है कि उन्हें उनके पद से हटाया भी जा सकता है. हाल ही में मुख्यमंत्री आतिशी के कार्यालय में कार्यरत एक व्यक्ति गौरव को पांच लाख रुपये नकद के साथ पकड़ा गया था। इसके बाद इन नियुक्तियों को लेकर चर्चा और तेज हो गई थी।
नॉन ऑफिशियल स्टाफ वे लोग होते हैं, जिन्हें सरकारी सेवा के तहत नियुक्त नहीं किया जाता। वे नियमित सरकारी कर्मचारी नहीं होते, लेकिन विशेषज्ञ या सलाहकार के रूप में विभिन्न समितियों या बोर्डों में शामिल किए जाते हैं। केजरीवाल सरकार के दौरान कई विभागों में ऐसे स्टाफ को महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया गया था। अब बीजेपी के सत्ता में आने के बाद इन नियुक्तियों की जांच शुरू हो गई है।
दिल्ली में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत हासिल कर 27 साल बाद प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी की है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं अब देखना होगा कि नई सरकार की यह कार्रवाई क्या बड़े बदलाव लेकर आती है.
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