नई दिल्ली : पेशाब का आना हमारे शरीर का एक सामान्य और आवश्यक कार्य है, लेकिन जब किसी व्यक्ति को बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के संकेत हो सकता है। बार-बार पेशाब आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ बीमारियां प्रमुख हैं। आइए जानते हैं उन बीमारियों के बारे में, जो बार-बार पेशाब आने से जुड़ी हो सकती हैं।
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें ब्लड शुगर का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है। जब शुगर का स्तर बहुत अधिक हो जाता है, तो शरीर से अधिक पानी बाहर निकलता है, जिससे बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही शरीर में कमजोरी, थकान और पानी की कमी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। अगर किसी को बार-बार पेशाब आने की समस्या हो और साथ में अन्य लक्षण जैसे अत्यधिक प्यास, भूख में बदलाव, या वजन कम होना दिखे, तो यह डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं।
पेशाब की नलियों में संक्रमण होने पर भी बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है। इसके साथ ही दर्द, जलन और पेशाब में खून आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह संक्रमण पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन महिलाओं में इसका खतरा अधिक होता है। अगर किसी व्यक्ति को पेशाब के दौरान जलन या दर्द महसूस हो, तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
पेशाब की थैली की समस्याएं, जैसे ब्लैडर इंफेक्शन, ओवरएक्टिव ब्लैडर या ब्लैडर के सिकुड़ने की समस्या, बार-बार पेशाब आने का कारण बन सकती हैं। ओवरएक्टिव ब्लैडर में, व्यक्ति को अत्यधिक इच्छा महसूस होती है और वह बार-बार पेशाब करता है, भले ही ब्लेडर में बहुत कम पेशाब हो। यह स्थिति उम्र बढ़ने के साथ अधिक देखी जाती है और कुछ खास दवाओं या जीवनशैली के कारण भी उत्पन्न हो सकती है।
हृदय की समस्याएं भी बार-बार पेशाब आने का कारण बन सकती हैं। जब हृदय ठीक से रक्त को पंप नहीं करता, तो शरीर में पानी की जमा होती है, जिससे किडनी को अधिक काम करना पड़ता है। इससे अधिक पेशाब का उत्पादन हो सकता है, खासकर रात के समय। इस स्थिति को ‘नाइट पालीयोरिया’ कहते हैं, जिसमें रात के समय पेशाब की मात्रा दिन के मुकाबले अधिक हो सकती है।
किडनी के रोगों में भी बार-बार पेशाब आने की समस्या देखी जाती है। जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो यह शरीर में पानी की अधिकता को नियंत्रित नहीं कर पाती और अधिक पेशाब का उत्पादन करती है। यह समस्या किडनी में संक्रमण, किडनी फेल्योर या किडनी स्टोन जैसी स्थितियों से जुड़ी हो सकती है।
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