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चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की होती है पूजा-अर्चना, जानें पूजन विधि और मंत्र

आज बुधवार, 2 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा को मालपुआ, दही और हलवे का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस दिन नारंगी और गहरा नीला रंग पहनना अत्यंत लाभकारी होता है।

Maa Kushmanda ki Puja Vidhi, Chaitra Navratri Day 4
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  • Last Updated: April 2, 2025 08:51:16 IST

नई दिल्ली: आज बुधवार, 2 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इनकी उपासना से सम्मान, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, जिनमें वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला धारण किए हुए हैं। मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है और इन्हें सृष्टि की रचनाकार भी माना जाता है।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • घी का दीपक जलाकर देवी को कुमकुम और हल्दी का तिलक लगाएं।
  • मां को लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें और भोग चढ़ाकर मंत्र जाप करें।
  • अंत में आरती कर पुष्प अर्पित करें।

मां कूष्मांडा के मंत्र

ऊं कूष्माण्डायै नम:

बीज मंत्र: कूष्मांडा: ऐं ह्रीं देव्यै नम:

ध्यान मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

भोग और शुभ रंग

मां कूष्मांडा को मालपुआ, दही और हलवे का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस दिन नारंगी और गहरा नीला रंग पहनना अत्यंत लाभकारी होता है। मां कूष्मांडा की पौराणिक कथा के अनुसार, जब सृष्टि अंधकार में डूबी हुई थी और ब्रह्मा, विष्णु व महेश इस सृष्टि की रचना में असमर्थ थे, तब मां दुर्गा ने कूष्मांडा रूप में प्रकट होकर ब्रह्मांड की रचना की। बता दें ‘कूष्मांडा’ का अर्थ ‘कूष्म’ (तरंग) और ‘आंड़ा’ (अंडा) होता है. इसका मतलब वह देवी जो ब्रह्मांड के अंडे के रूप में प्रकट होकर ब्रह्मांड की रचना करती हैं. इसीलिए इन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है।

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