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रूह अफजा Vs शरबत जिहाद: इस सॉफ्ट ड्रिंक का मुसलमान-पाकिस्तान से क्या है कनेक्शन, बाबा रामदेव से कैसे जुड़ा विवाद!

Sharbat Jihad: योग गुरु बाबा रामदेव के शरबत जिहाद वाले बयान को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा। बाबा रामदेव ने पतंजलि के शरबत का प्रचार करते हुए कहा कि एक कंपनी है जो शरबत पिलाती है लेकिन उससे मिलने वाले पैसों से मस्जिदें और मदरसे बनते हैं।

Baba Ramdev Rooh Afza controversy
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  • Last Updated: April 14, 2025 14:05:04 IST

Sharbat Jihad: योग गुरु बाबा रामदेव के शरबत जिहाद को वाले बयान को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा। बाबा रामदेव ने पतंजलि के शरबत का प्रचार करते हुए कहा कि एक कंपनी है जो शरबत पिलाती है लेकिन उससे मिलने वाले पैसों से मदरसे और मस्जिदें बनवाती है। अगर आप उनका शरबत पिएंगे तो मस्जिद और मदरसे बनेंगे लेकिन पतंजलि का पिएंगे तो गुरुकुल बनेंगे। पतंजलि विश्वविद्यालय का विस्तार होगा। भारतीय शिक्षा पद्धति आगे बढ़ेगा। जिस तरह से लव जिहाद चल रहा, वैसे ही शरबत जिहाद चलाया जा रहा।

किसने बनाया रूह अफजा

बाबा रामदेव ने अपने बयान में किसी ड्रिंक का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा रूह अफजा पर था। रूह अफजा को हमदर्द ने तैयार किया था। इसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई कि यह मुस्लिमों का ड्रिंक है। हमदर्द प्रयोगशालाओं की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 1906 में हकीम अब्दुल मजीद ने पुरानी दिल्ली में हमदर्द नामक एक यूनानी क्लिनिक खोला। यहीं पर उन्होंने ‘रूह अफजा ‘ बनाया, जो एक ताज़ा पेय था।

गर्मियों का पसंदीदा पेय

भारत-पाकिस्तान विभाजन के बावजूद, रूह अफजा एक सदी से भी ज़्यादा समय से गर्मियों का पसंदीदा पेय बना हुआ है। कुछ साल पहले यह आरोप लगे थे कि रूह अफजा पाकिस्तान में बनता है लेकिन भारत में बेचा जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, हमदर्द लैबोरेटरीज (इंडिया) के खाद्य प्रभाग के सीईओ और ट्रस्टी और हकीम अब्दुल मजीद के पड़पोते हामिद अहमद ने कहा कि इस पेय का ट्रेडमार्क हमदर्द लैबोरेटरीज (इंडिया) के पास है।

रूह अफजा भारतीय उत्पाद

एक रिपोर्ट के अनुसार हामिद अहमद का कहना है कि 1906 में सिर्फ़ एक हमदर्द था लेकिन 1947 के बाद उनके परदादा अपने एक बेटे के साथ भारत में रहे,तो उनके दूसरे बेटे हकीम मोहम्मद सईद पाकिस्तान चले गए। वहाँ एक और हमदर्द शुरू किया। फिर 1971 में जब बांग्लादेश अस्तित्व में आया तो एक तीसरा हमदर्द अस्तित्व में आया। हामिद अहमद ने बताया कि 1907 में हमदर्द द्वारा बनाया गया पहला ब्रांडेड उत्पाद साधारण रूह अफजा था। रूह अफजा पाकिस्तान और बांग्लादेश के जन्म से भी पुराना है। यह पूरी तरह से एक भारतीय उत्पाद है।

रूह अफजा की कमाई तगड़ी

रूह अफजा हमेशा से सभी वर्गों के लोग पीते आ रहे हैं। खासकर जब ज्यादा गर्मी पड़ रही हो तो इसकी बिक्री तेजी से बढ़ जाती है। रमजान का समय हो या हिन्दुओं का कोई त्योहार या फिर सिखों के पर्व पर इसका इस्तेमाल जरूर किया जाता है। इसके मुनाफे का 85 फीसदी धार्मिक उद्देश्यों के लिए खर्च किया जाता था। हमदर्द इंडिया सालाना 70 मिलियन डॉलर कमाता है। इसका बिजनेस 25 से ज्यादा देशों में है।

 

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