Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • Waqf case: क्या किसी हिंदू धार्मिक ट्रस्ट में मुस्लिम को रखेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा सवाल

Waqf case: क्या किसी हिंदू धार्मिक ट्रस्ट में मुस्लिम को रखेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा सवाल

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 73 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक अहम सवाल पूछा क्या सरकार हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल करने की अनुमति देने को तैयार है?

Waqf case
inkhbar News
  • Last Updated: April 16, 2025 18:20:40 IST

Waqf case: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 73 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक अहम सवाल पूछा क्या सरकार हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल करने की अनुमति देने को तैयार है? यह सवाल वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के प्रावधान के संदर्भ में उठा.

याचिकाओं का आधार

याचिकाकर्ता जिनमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, और जमीअत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठन शामिल हैं. दावा है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (भेदभाव निषेध), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है.

  • वक्फ इस्लाम का अभिन्न हिस्सा: वक्फ संपत्तियां धार्मिक और पवित्र उद्देश्यों के लिए समर्पित हैं और सरकार का हस्तक्षेप अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है.
  • गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति: वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना मुस्लिम समुदाय की स्वायत्तता पर हमला है. जबकि हिंदू या सिख धार्मिक संस्थानों में ऐसी बाहरी नियुक्तियां नहीं होतीं.
  • वक्फ बाय यूजर का हटना: यह सिद्धांत जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि मामले में मान्यता दी थी. हटाने से बिना दस्तावेज वाले सदियों पुराने वक्फ प्रभावित होंगे.
  • राज्य का अत्यधिक हस्तक्षेप: जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्ति की प्रकृति तय करने का अधिकार देना और बोर्ड की स्वायत्तता कम करना असंवैधानिक है.
  • पांच साल का नियम: वक्फ बनाने के लिए इस्लाम को पांच साल तक मानने की शर्त इस्लामी कानून के खिलाफ है.

सुप्रीम कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां

  • हिंदू ट्रस्ट में मुस्लिम शामिल करने का सवाल: CJI संजीव खन्ना ने पूछा कि जब वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किया जा रहा है तो क्या सरकार हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल करने की अनुमति देगी? यह सवाल अनुच्छेद 26 की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति और सभी धर्मों पर समान लागू होने पर केंद्रित था.
  • अनुच्छेद 26 की सेक्युलर प्रकृति: CJI ने कहा कि अनुच्छेद 26 सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होता है और यह संसद को कानून बनाने से नहीं रोकता. बशर्ते वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करे.
  • संपत्ति बनाम प्रशासन: जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि संपत्ति स्वयं धर्मनिरपेक्ष हो सकती है लेकिन उसका प्रशासन धार्मिक हो सकता है.
  • सुनवाई की प्रक्रिया: CJI ने स्पष्ट किया कि सभी याचिकाकर्ताओं को सुनना संभव नहीं इसलिए चयनित वकील बिना दोहराव के तर्क देंगे. कोर्ट यह भी तय करेगा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में सुना जाए या हाई कोर्ट को सौंपा जाए.

केंद्र सरकार का पक्ष

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा-

  • वक्फ कानून का उद्देश्य संपत्ति का नियमन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है न कि धार्मिक हस्तक्षेप.
  • जिला कलेक्टर को अधिकार देने से संपत्ति विवादों का त्वरित समाधान होगा.
  • 1995 से 2013 तक वक्फ बोर्ड के सदस्यों का नामांकन केंद्र करता रहा है और यह प्रक्रिया पहले भी थी.
  • वक्फ न्यायाधिकरण के फैसलों पर हाई कोर्ट में अपील का प्रावधान है जो न्यायिक समीक्षा सुनिश्चित करता है.

कपिल सिब्बल के प्रमुख तर्क

अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने निम्नलिखित धाराओं को असंवैधानिक बताया-

  • धारा 3(आर): वक्फ की परिभाषा में राज्य का हस्तक्षेप.
  • धारा 3(ए)(2): महिलाओं के संपत्ति अधिकारों में हस्तक्षेप.
  • धारा 3(सी): सरकारी संपत्ति को स्वत वक्फ न मानना.
  • धारा 14: बोर्ड में नामांकन से सत्ता का केंद्रीकरण.
  • धारा 36: बिना पंजीकरण के धार्मिक उपयोग की संभावना.
  • धारा 7(ए) और 61: न्यायिक प्रक्रियाओं में अस्पष्टता.

याचिकाकर्ताओं की मांग

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतिम फैसला आने तक अंतरिम रोक.
कानून को असंवैधानिक घोषित करना क्योंकि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता और संपत्ति अधिकारों का हनन करता है.

केंद्र का जवाब

केंद्र का कहना है कि संशोधन भ्रष्टाचार रोकने, पारदर्शिता बढ़ाने और बेहतर प्रशासन के लिए हैं. गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति विशेषज्ञता और विविधता के लिए है न कि धार्मिक स्वायत्तता को कम करने के लिए. सात राज्य (राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़) ने कानून का समर्थन किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आदेश सुरक्षित रखा है और केंद्र से दो सप्ताह में जवाब मांगा है. कोर्ट का हिंदू ट्रस्टों में मुस्लिमों को शामिल करने का सवाल यह दर्शाता है कि वह कानून की धर्मनिरपेक्षता और समानता के पहलुओं पर गहराई से विचार कर रहा है. मामला धार्मिक स्वायत्तता, संपत्ति अधिकार और राज्य के हस्तक्षेप के बीच संतुलन का सवाल उठाता है.

यह भी पढे़ं- मंडप सज चुका था और खाना भी तैयार था, दुल्हन ब्यूटी पार्लर से अपने प्रेमी संग हुई फरार