Indus Waters Treaty: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए सिंधु जल संधि रद्द कर दिया है। पाकिस्तान की 90 फीसदी खेती सिंधु जल पर निर्भर है। पीने का पानी हो या फिर बिजली उत्पादन, इन सभी का एक बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर करता है। दोनों देशों के बीच में 3 जंग हुए लेकिन भारत ने तब भी सिंधु जल समझौता बरक़रार रखा था। आइये जानते हैं सिंधु जल समझौता क्या है? इसका पाकिस्तान पर क्या असर होगा?
सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पाकिस्तान गए थे। इस समझौते के तहत छह प्रमुख नदियों—ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के जल बंटवारे के नियम तय किए गए थे। भारत को पूर्वी नदियों- ब्यास, रावी, सतलुज के जल का पूर्ण उपयोग करने का अधिकार मिला। वहीं पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, चिनाब, झेलम के जल का पूरा उपयोग करने की अनुमति दी गई।
इस संधि के तहत भारत ने शांति के बदले में 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को देने का निर्णय लिया था। सिंधु नदी प्रणाली के 6 नदियों में करीब 16. 8 करोड़ एकड़ फीट पानी है। इसमें पूर्वी नदियों में 20 फीसदी जबकि पश्चिमी नदियों में 80 फीसदी पानी है। पाकिस्तान 13.5 फीसदी करोड़ एकड़ फ़ीट पानी का इस्तेमाल करता हुआ आया है।
पाकिस्तान अपनी जमीन यानी 4.7 करोड़ एरिया में सिंधु नदी के जल का इस्तेमाल करके सिंचाई करता है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान 23% है। कृषि से पाकिस्तान के गाँवों में रहने वाले 68% लोगों की आजीविका चलती है। अब जब पाकिस्तान को पानी नहीं मिलेगा तो फिर अर्थव्यवस्था पहले से बदतर हो सकती है। मंगल और तारबेला हाइड्रोपावर डैम को पानी न मिलने से बिजली उत्पादन में 30 से 50 फीसदी तक की कमी आ सकती है। यानी कि मोदी ने अपने एक फैसले से आधे पाकिस्तान को अंधेरे में डाल दिया है, साथ ही भूखे मरने के मुहाने पर खड़ा कर दिया है।