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आंबेडकर-अखिलेश की संयुक्त फोटो पर बवाल, SC-ST आयोग ने दिया FIR का आदेश

सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल हो रही एक विवादित फोटो ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। इस तस्वीर में एक व्यक्ति का चेहरा दो हिस्सों में बांटा गया है। एक तरफ डॉ. भीमराव आंबेडकर और दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का चेहरा है।

Akhilesh Yadav News
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  • Last Updated: April 30, 2025 21:32:06 IST

Ambedkar Poster Controversy: सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल हो रही एक विवादित फोटो ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। इस तस्वीर में एक व्यक्ति का चेहरा दो हिस्सों में बांटा गया है। एक तरफ डॉ. भीमराव आंबेडकर और दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का चेहरा है। इस फोटो पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (SC-ST आयोग) ने उत्तर प्रदेश पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

आंबेडकर की छवि का अपमान

यह मामला तब सामने आया जब इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर किया गया और देखते ही देखते यह वायरल हो गई। कई दलित संगठनों और आम लोगों ने इस फोटो को “डॉ. आंबेडकर की छवि का अपमान” बताया और कार्रवाई की मांग की। इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी किया और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।

सांपला ने मीडिया को दिए बयान में कहा “यह सिर्फ एक फोटो नहीं है. यह दलित समाज के आत्मसम्मान और भावनाओं पर हमला है। डॉ. आंबेडकर हमारे संविधान निर्माता हैं और उनकी छवि के साथ इस प्रकार की छेड़छाड़ अक्षम्य है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों को सजा मिले।

अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध

आयोग के मुताबिक यह तस्वीर “जानबूझकर भावनाएं भड़काने” के मकसद से बनाई गई है। आयोग ने इसे अनुसूचित जातियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि यह एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज़ हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस तस्वीर को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सपा ‘दलित आइकॉन’ का राजनीतिक उपयोग कर रही है। वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने दावा किया है कि यह फोटो किसी समर्थक द्वारा अनाधिकारिक रूप से बनाई गई है और पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

दोषियों की पहचान

उधर लखनऊ पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। साइबर सेल को निर्देश दिए गए हैं कि वह इस वायरल फोटो के मूल स्रोत का पता लगाए और दोषियों की पहचान कर जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज करे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

मामले को नजरअंदाज नहीं करना

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीतिक फायदे के लिए समाज के महापुरुषों की छवियों से छेड़छाड़ करना स्वीकार्य है? आयोग की कड़ी प्रतिक्रिया यह संकेत देती है कि अब ऐसे मामलों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।

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