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धरती पर आने वाली है बड़ी आफत! टकराने वाला है हजारों परमाणु बम की ताकत वाला पत्थर, NASA की चेतावनी!

पृथ्वी के लिए अंतरिक्ष से एक और चुनौती सामने आ रही है. नासा ने चेतावनी जारी की है कि 23-25 मई 2025 के बीच 4 विशाल क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पास से गुज़रेंगे. समूह का सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह 387746 (2003 MH4) है जिसकी लंबाई लगभग 1,100 फ़ीट है जो लगभग एक स्टेडियम के आकार का है.

Asteroid 2003mh4
inkhbar News
  • Last Updated: May 23, 2025 15:58:34 IST

Asteroid 2003mh4 Coming: पृथ्वी के लिए अंतरिक्ष से एक और चुनौती सामने आ रही है. नासा ने चेतावनी जारी की है कि 23-25 मई 2025 के बीच 4 विशाल क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पास से गुज़रेंगे. समूह का सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह 387746 (2003 MH4) है जिसकी लंबाई लगभग 1,100 फ़ीट है जो लगभग एक स्टेडियम के आकार का है. यह उल्कापिंड इतना शक्तिशाली है कि वैज्ञानिक इसे हजारों परमाणु बमों के बराबर मान रहे हैं.

कितना बड़ा और कितना खतरनाक?

नासा के अनुसार उल्कापिंड 2003 MH4 की चौड़ाई 335 मीटर है जो लगभग तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर है. यह 14 किलोमीटर प्रति सेकंड (लगभग 50,400 किमी/घंटा) की रफ्तार से सौरमंडल में यात्रा कर रहा है. इसकी विशालता और गति इसे खतरनाक बनाती है. नासा ने इसे Potentially Hazardous Asteroid (PHA) की श्रेणी में रखा है क्योंकि यह पृथ्वी से 7.5 मिलियन किलोमीटर से कम दूरी से गुजरता है.

नासा के वैज्ञानिकों का कहना है यह उल्कापिंड इस बार पृथ्वी से 6.68 मिलियन किलोमीटर की सुरक्षित दूरी से गुजरेगा लेकिन भविष्य में इसकी कक्षा में बदलाव इसे जोखिम भरा बना सकता है.

क्या है टक्कर का जोखिम?

हालांकि 24 मई 2025 को यह उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने वाला नहीं है. यह चंद्रमा-पृथ्वी की दूरी के 17 गुना दूरी से होकर गुजरेगा. फिर भी वैज्ञानिक इसे गंभीरता से ले रहे हैं. अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण या अन्य खगोलीय प्रभावों के कारण इसकी कक्षा में बदलाव हो सकता है जो भविष्य में खतरा पैदा कर सकता है. नासा का Centre for Near Earth Object Studies (CNEOS) इसकी गति और दिशा पर लगातार नजर रख रहा है.

नासा की रणनीति और प्लैनेटरी डिफेंस

नासा इस खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. NEO Surveyor मिशन जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए छोटे और छिपे हुए उल्कापिंडों की खोज की जा रही है. इसके अलावा DART (Double Asteroid Redirection Test) मिशन ने दिखाया है कि उल्कापिंड की दिशा को बदला जा सकता है. नासा का कहना है हमारी तकनीक और निगरानी प्रणाली हमें ऐसे खतरों से बचाने में सक्षम है.

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