नई दिल्ली। हिंदू धर्म में शनि जयंती का खास महत्व होता है। शनि जयंती हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल शनि जयंती 27 मई यानी आज मनाई जा रही है। शनि जयंती पर शनि देव का जन्म दिवस मनाया जाता है। शनि देव ग्रहों के राजा सूर्य और देवी छाया के पुत्र हैं। यह दिन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित जातकों के लिए खास दिन है।
इस प्रभावित लोग अपनी साढ़ेसाती से राहत के लिए उपाय करके निजात पा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शनिदेव की विधिपूर्वक पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में आ रही परेशानी भी दूर होती है। जानें शनि जयंती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें। शनि जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लेने चाहिए। साथ ही व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद शनि मंदिर जाकर शनि देव की पूजा करनी चाहिए। शनि देव के पैरों को छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। साथ ही शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करना चाहिए। शनि देव को काला तिल और नीले रंग का फूल अर्पित करना चाहिए।
उन्हें काला तिल और नीले फूल काफी प्रिय होते हैं। साथ ही शनि देव की आरती उतारें और उनके मंत्रों का जाप करें। शनि जयंती पर पूजन के लिए अभिजित मुहूर्त की शुरुआत 11 बजकर 51 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति 12 बजकर 46 मिनट पर । विजय मुहूर्त की शुरुआत 2 बजकर 36 मिनट पर होगी। वहीं इसकी समाप्ति 3 बजकर 31 मिनट पर होगी। शनि जयंती के दिन अमृत काल 12बजे से शुरू होगा जो पूरे दिन रहेगा। शनि जयंती के दिन ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:के मंत्रों का जाप करें। आज के दिन भगवान शनि देव को खुश करने के लिए गुड़-चना, काली दाल की खिचड़ी, मालपुए और तेल से बने पकवान का भोग लगाना चाहिए।
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