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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मॉनसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है सरकार 

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस यशवंत वर्मा के घर होली पर आग लगने के दौरान मिली नकदी मामले में केंद्र सरकार आगामी मॉनसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है. यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति द्वारा जज के खिलाफ आरोपों के ठोस पाए जाने और तत्कालीन सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना की महाभियोग सिफारिश के आधार पर लाया जा रहा है.

Cash Row-justice Yashwant Verma
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  • Last Updated: May 28, 2025 08:23:19 IST

Delhi HC Justice Yashwant Verma Case: दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस यशवंत वर्मा के घर होली पर आग लगने के दौरान मिली नकदी मामले में सत्ता पक्ष आगामी मॉनसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है. यह कदम सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति द्वारा जज के खिलाफ आरोपों के ठोस पाए जाने के बाद उठाया जा रहा है. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद तत्कालीन सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना ने महाभियोग की सिफारिश की थी.

जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की तैयारी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आंतरिक पैनल द्वारा दोषी पाए जाने के बाद यह कदम उठाया जा सकता है. 14 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने और कैश मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को जांच के लिए एक पैनल बनाया था जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी था. पैनल में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे. जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने महाभियोग की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी थी. माना जा रहा है कि जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने को कहा गया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उसके बाद CJI ने यह कदम उठाया.

महाभियोग कैसे लगता है

सरकारी सूत्रों के हवाले से जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक राष्ट्रपति सीजेआई की सिफारिश को राज्यसभा चेयरमैन और लोकसभा स्पीकर को भेज सकती हैं और सत्ता पक्ष महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है. राज्यसभा में यह प्रस्ताव कम से 50 सांसदों और लोकसभा में 100 सांसदों द्वारा लाया जा सकता है. इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को भी भरोसे में लेना सरकार की मजबूरी है क्योंकि दोनों ही सदनों में ऐसा प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है. इसमें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होगी. दोनों विपक्ष से संपर्क साधकर उन्हें राजी कर सकते हैं.

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