नई दिल्ली। आज भारत धूमावती जयंती मना रहा है। यह जयंती हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। धूमावती का अर्थ है ‘धुएं के समान’। मां धूमावती माता पार्वती का ही एक उग्र रूप हैं। देवी धूमावती सांसारिक मोह-माया से परे हैं। देवी धूमावती को विपत्ति, त्याग, आध्यात्मिक शक्ति और विवेक का प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं मां धूमावती की पौराणिक कथा और पूजा विधि।
यह दिन माता धूमावती को समर्पित होता है। जो साधक तंत्र-मंत्र में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह दिन खास होता है। मां धूमावती के स्वरूप की बात करें तो उनके एक हाथ में तलवार है। दूसरे हाथ से वह आशीर्वाद दे रही हैं। देवी के बाल बिखरे हुए हैं और इनका स्वरूप काफी रौद्र और भयानक है। मां धूमावती ने सफेद रंग की साड़ी पहन रखी है। मां धूमावती की पूजा से पापियों का नाश होता है। इनकी पूजा से व्यक्ति के जीवन से विपत्ति और परेशानी दूर होती है। लेकिन मां धूमावती की पूजा सुहागिन महिलाओं के लिए वर्जित मानीजाती है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद सूर्य देवता को अर्घ्य दें। पूरे घर को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद देवी धूमावती को सफेद रंग के फूल और सफेद रंग के वस्त्र भेंट करें। इसके बाद पूजा में गंगाजल, अक्षत, कुमकुम, काले तिल, नींबू, सुपारी,दूर्वा और पंचमेवा मां को अर्पित करें। इसके बाद देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। इस दिन की पूजा में सफेद तिल को शामिल करना शुभ माना जाता है। आखिर में मां धूमावती के स्रोत का पाठ करें और उनके आशीर्वाद लें।
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