Iran Israel tensions: ईरान ने दावा किया है कि उसके खुफिया एजेंटों ने इजराइल के परमाणु कार्यक्रम और सुरक्षा ढांचे से जुड़ी बेहद संवेदनशील जानकारी हासिल कर ली है। इस जानकारी की बदौलत ईरान अब इजराइली ठिकानों को और भी सटीकता से निशाना बना सकता है।
ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के चीफ कमांडर मेजर जनरल हुसैन सलामी ने इस पूरे ऑपरेशन को खुफिया युद्ध की ऐतिहासिक जीत बताया है। उन्होंने इसे ‘ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड II’ का हिस्सा बताया।
सलामी ने इस जीत पर ईरानी खुफिया मंत्री इस्माइल खतीब को बधाई दी और कहा कि यह सफलता खुफिया और जासूसी की दुनिया में ईरान की गहरी पहुंच की ताकत का सबूत है। ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एजेंटों ने इजराइल के परमाणु, सैन्य और बुनियादी ढांचे से जुड़ी सभी गोपनीय जानकारी जब्त कर ली है। इसमें वे ठिकाने भी शामिल हैं जो इजराइल के छिपे हुए परमाणु कार्यक्रम से जुड़े हैं, यानी वहां से सैकड़ों गैर-पारंपरिक मिसाइलें बनाई जा रही हैं, जिन पर दुनिया को शक है।
सलामी ने कहा कि इस महत्वपूर्ण जानकारी के कारण ईरान अब ज़ायोनी शासन (इज़राइल) को खत्म करने की दिशा में और अधिक प्रभावी कदम उठा सकेगा। अब अगर हमला होता है तो मिसाइलें एक इंच भी नहीं चूकेंगी। उन्होंने इसे ऐसा क्षण बताया जिसने इज़रायल की खुफिया और सुरक्षा शक्ति के ‘झूठे बुलबुले’ को फोड़ दिया।
आईआरजीसी कमांडर ने यह भी कहा कि यह ऑपरेशन दिखाता है कि ईरान इज़रायल की सुरक्षा प्रणाली की ‘छिपी परतों’ तक पहुँचने में सक्षम है। यह सिर्फ़ एक खुफिया ऑपरेशन नहीं था, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक झटका भी था, जिसने इज़रायल की ‘विश्व स्तरीय’ जासूसी प्रणाली को उजागर कर दिया है।
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर इज़रायल कोई दुस्साहसपूर्ण कदम उठाता है, तो उसके ‘गुप्त परमाणु स्थलों’ को निशाना बनाया जाएगा। यह एक सीधा अल्टीमेटम है और यह चेतावनी सिर्फ़ शब्दों तक सीमित नहीं है।
पिछले साल ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस के तहत कई संवेदनशील इज़रायली ठिकानों पर सटीक हमले किए थे, जिनकी सफलता दर 90% से ज़्यादा थी। ऐसे में इस ताजा ऑपरेशन को उसी रणनीति की अगली कड़ी माना जा रहा है। सलामी ने आखिर में कहा, “यह आखिरी हमला नहीं है, बल्कि कर्तव्य और छल के बीच चल रही लड़ाई में सच्चाई की जीत का संकेत है।”