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ईरान- इजरायल जंग में कूदा SCO, कर रहा था बड़ी बातें, फिर भारत ने यूं दिखा दी हैसियत

Iran-Israel Tension: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध को लेकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की ओर से जारी उस बयान से भारत ने खुद को अलग कर लिया है, जिसमें ईरान पर इजरायल के हमलों की आलोचना की गई है। भारत ने साफ तौर पर कहा कि जब एससीओ ने यह बयान जारी […]

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  • Last Updated: June 14, 2025 18:56:35 IST

Iran-Israel Tension: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध को लेकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की ओर से जारी उस बयान से भारत ने खुद को अलग कर लिया है, जिसमें ईरान पर इजरायल के हमलों की आलोचना की गई है। भारत ने साफ तौर पर कहा कि जब एससीओ ने यह बयान जारी किया, तब वह बैठक का हिस्सा नहीं था। भारत ने 13 जून को ईरान पर इजरायल के सैन्य हमलों की निंदा करने वाले बयान पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की चर्चाओं में हिस्सा नहीं लिया था।

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भारत ने तनाव कम करने के लिए कूटनीति पर जोर दिया

भारत ने कहा कि इस मामले पर उसकी स्थिति उसी दिन स्पष्ट कर दी गई थी। एससीओ के सदस्य देशों – चीन, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस – ने इजरायल के ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि नागरिक ठिकानों पर इस तरह के आक्रामक हमले अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन हैं। समूह का सदस्य होने के बावजूद भारत ने एससीओ के बयान पर चर्चा में भाग नहीं लिया।

विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, ‘इस मामले पर भारत की स्थिति 13 जून 2025 को स्पष्ट कर दी गई थी और अब भी वही है। हम अनुरोध करते हैं कि तनाव कम करने के लिए वार्ता और कूटनीति के साधनों का उपयोग किया जाना चाहिए और यह आवश्यक है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस दिशा में प्रयत्न करे।’

बयान में आगे कहा गया, ‘विदेश मंत्री ने शुक्रवार को अपने ईरानी समकक्ष के साथ भी इस मामले पर चर्चा की और घटनाक्रम पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने किसी भी भड़काऊ कदम से बचने और जल्द से जल्द कूटनीति पर लौटने का आग्रह किया।’

विदेश मंत्री जयशंकर ने ईरानी और इजरायली समकक्षों से बातचीत की

गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव पर चर्चा करने के लिए अपने इजरायली और ईरानी समकक्षों से अलग-अलग फोन पर बात की। यह भारत की व्यापक रणनीति को दर्शाता है, जो प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ियों के साथ जुड़ाव बनाए रखते हुए संयम बरतने का आग्रह करता है।

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