Israeli Weapon Exports To India : ईरान-इजरायल जंग में अमेरिका के शामिल होने के बाद से मामला और भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। परमाणु ठिकानों पर बमबारी के बाद अमेरिका और ईरान की तरफ से जो बयान सामने आए हैं उसके बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि ये जंग अभी खत्म नहीं होगी।
अब ये जंग जितनी ज्यादा खिचेगी भारतीय सेना को इससे परेशानी हो सकती है। असल में भारत काफी ज्यादा मात्रा में हथियार और तकनीकी उपकरण इजरायल से खरीदता है। अगर इजरायल ऐसे ही जंग में उलझा रहा तो फिर वहां से आ रहे सैन्य उपकरणों की दिकक्त पैदा हो जाएगी।
इस मुद्दे पर इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष पर बारीकी से नजर रख रहे अधिकारियों ने बताया कि इजरायल-ईरान के बीच चल रहे संघर्ष का भारतीय सेना के हथियारों और रखरखाव सहायता पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर ये यह कई महीनों तक चलने वाले एक और लंबे संघर्ष में बदल जाए तो फिर मामला बिगड़ भी सकता है।
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि यह युद्ध इतना नया है कि इसका भारतीय सैन्य घटकों या हार्डवेयर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक संघर्ष की स्थिति में हथियारों की आपूर्ति बदल सकती है। यह मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अपने इजरायली हथियारों को वापस पाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है, जिनका इस्तेमाल पिछले महीने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में बड़े पैमाने पर किया गया था।
पिछले दशक में भारत ने इज़रायल से मिसाइल, ड्रोन, सेंसर और रडार, वायु रक्षा प्रणाली और छोटे हथियारों सहित कई तरह के सैन्य उपकरण और हथियार खरीदे हैं। इनमें से कई इज़रायली हथियार और प्लेटफॉर्म – खास तौर पर लोइटरिंग म्यूनिशन और वायु रक्षा प्रणाली – का इस्तेमाल पिछले महीने भारत द्वारा पाकिस्तान के अंदर शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में किया गया था।
इनमें स्काईस्ट्राइकर लोइटरिंग म्यूनिशन, हेरॉन और सर्चर यूएवी, डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल, स्पाइस 2000 गाइडेड बम, स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, स्पाइडर सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम, बराक 8 एयर डिफेंस सिस्टम और नेगेव लाइट मशीन गन और नेटवर्क रेडियो संचार उपकरण शामिल हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़ों के मुताबिक 2020-24 में इजरायल दुनिया का आठवां सबसे बड़ा हथियार निर्यातक था, जिसकी वैश्विक हथियार निर्यात में 3.1 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। इजरायली हथियारों का सबसे बड़ा आयातक भारत था, जिसकी हिस्सेदारी 34 प्रतिशत थी, उसके बाद अमेरिका 13 प्रतिशत और फिलीपींस 8.1 प्रतिशत था।