War in Space: धरती पर कई मोर्चों पर छिड़े जंग के बीच क्या आपने सभी सोचा है कि युद्ध कहां-कहां लड़ा जा सकता है। क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में भी जंग लड़ा जा सकता है। विज्ञान और तकनीक की तरक्की ने अंतरिक्ष को सिर्फ शोध और संचार का माध्यम ही नहीं रखा है, बल्कि अब यह एक नया युद्धक्षेत्र बनता जा रहा है। कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष में युद्ध की तैयारी कर ली है। वे न सिर्फ वहां सैन्य उपग्रह तैनात कर रहे हैं, बल्कि दुश्मन के उपग्रहों को नष्ट करने की क्षमता भी हासिल कर ली है। पूरी दुनिया में केवल 4 देश ही है, जो अंतरिक्ष में जंग लड़ सकता है। वो देश अमेरिका, रूस, चीन और भारत हैं।
इस लिस्ट में सबसे ऊपर अमेरिका का नाम आता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अमेरिका के पास एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल तकनीक है। 1985 में अमेरिका ने एक प्रयोग के तहत F-15 लड़ाकू विमान से मिसाइल दागकर अपना ही उपग्रह नष्ट कर दिया था। इसके अलावा, अमेरिका के पास GPS, निगरानी और जासूसी उपग्रहों का सबसे बड़ा नेटवर्क है।
रूस इस सूची में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर शामिल है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भी यह देश किसी से पीछे नहीं है। सोवियत संघ के समय से ही रूस अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी रहा है। 2007 के बाद रूस ने कई गुप्त अंतरिक्ष मिशन और एंटी-सैटेलाइट परीक्षण किए हैं। दिसंबर 2021 में अमेरिका ने रूस पर अपने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल से एक सैटेलाइट को नष्ट करने का आरोप लगाया, जिससे अंतरिक्ष में मलबे के हजारों टुकड़े फैल गए। यह परीक्षण अमेरिका समेत पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया।
चीन इस समय अपनी ताकत को तेजी से बढ़ा रहा है। चीन ने अंतरिक्ष में अपनी ताकत का प्रदर्शन 2007 में किया था, जब उसने अपने एक निष्क्रिय मौसम उपग्रह को एंटी-सैटेलाइट मिसाइल से सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था। यह परीक्षण दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया था, क्योंकि इसने अंतरिक्ष मलबे की एक बड़ी समस्या पैदा कर दी थी। फिलहाल चीन नियमित रूप से सैन्य उपग्रहों का प्रक्षेपण करता है।
भारत का नाम इस सूची में चौथे नंबर पर शामिल किया जा सकता है, क्योंकि भारत ने तेजी से अपनी अंतरिक्ष ताकत बनाई है। पिछले कुछ सालों में इसरो ने बहुत बढ़िया काम किया है। 27 मार्च 2019 को भारत ने ‘मिशन शक्ति’ के तहत एंटी-सैटेलाइट मिसाइल से लो-ऑर्बिट सैटेलाइट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। इस कदम ने भारत की अंतरिक्ष रक्षा क्षमता का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।