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तुर्की ने फिर दिया धोखा…भारत के खिलाफ हुए 57 देश, जानें Pak के साथ आए ‘मुस्लिम वर्ल्ड’ ने क्या कहा?

OIC in Support of Pakistan: तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की दो दिवसीय बैठक एक बार फिर पाकिस्तान की पक्षपातपूर्ण कूटनीति का मंच बन गई। 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) ने अपने साझा बयान में एक तरफ भारत और पाक के बीच सिंधु जल […]

OIC in Support of Pakistan (भारत के खिलाफ हुए 57 मुस्लिम देश)
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  • Last Updated: June 24, 2025 17:58:40 IST

OIC in Support of Pakistan: तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की दो दिवसीय बैठक एक बार फिर पाकिस्तान की पक्षपातपूर्ण कूटनीति का मंच बन गई। 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) ने अपने साझा बयान में एक तरफ भारत और पाक के बीच सिंधु जल संधि को बहाल रखने की बात कही, वहीं दूसरी तरफ भारत की सैन्य कार्रवाई और कश्मीर नीति पर एकतरफा टिप्पणियां भी कीं। ओआईसी ने अपने संयुक्त बयान में स्पष्ट कर दिया कि वह पाकिस्तान के रुख का पूरा समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि भारत ज्यादा संयम बरतेगा।

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ओआईसी ने कहा कि भारत-पाकिस्तान सिंधु संधि नहीं तोड़ी जानी चाहिए

बैठक के बाद जारी औपचारिक बयान में ओआईसी ने कहा कि दोनों पक्षों को साल 1960 में पाकिस्तान और भारत के बीच हुई सिंधु जल समझौते का सख्ती से पालन करना चाहिए। बयान में आगे कहा गया, ‘इस ऐतिहासिक संधि को किसी भी हालत में नहीं तोड़ा जाना चाहिए। दोनों पक्षों को इसका क्रियान्वयन जारी रखना चाहिए।’ बता दें, यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु संधि पर अपना रुख सख्त करते हुए पाकिस्तान का पानी रोक दिया था। पाकिस्तान ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और वॉर की धमकी दी थी। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बीते तीन महीने से टकराव की स्थिति बनी हुई है।

ओआईसी ने भारत पर सैन्य कार्रवाई बढ़ाने का आरोप लगाया

ओआईसी के सीएफएम ने एक बयान में कहा, “हम दक्षिण एशिया में बढ़ती सैन्य गतिविधियों को लेकर बेहद चिंतित हैं। पाकिस्तान में कई स्थानों पर भारत द्वारा किए गए सैन्य हमले क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकते हैं।” ओआईसी ने दोनों पक्षों से उकसावे वाली कार्रवाइयों से बचने और अधिकतम संयम बरतने का आग्रह किया है। यह भारत के लिए एक स्पष्ट संकेत है, क्योंकि पाकिस्तान ओआईसी का स्थायी सदस्य है और लंबे समय से इसे भारत के खिलाफ कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

कश्मीर पर Pak के सुर में मिलाया सुर

इस ओआईसी बैठक में भारत के लिए चिंता की एक और बात यह रही कि संगठन ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख को पूरी तरह दोहराया। बयान में कहा गया,”हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों, ओआईसी के रुख और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के मुताबिक कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं।”

यह बयान भारत की उस नीति के खिलाफ है जिसमें कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग माना जाता है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज किया जाता है।

तुर्की में हुई अहम बैठकें, पाक सेना प्रमुख भी रहे मौजूद

इस्लामिक सहयोग संगठन की यह बैठक इसलिए भी चर्चा में रही क्योंकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के साथ पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी तुर्की पहुंचे थे। मुनीर ने वहां तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन से मुलाकात की, जिसे बैठक के आधिकारिक एजेंडे से अलग एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बैठक ने ओआईसी के अंतिम बयान की भाषा को भी प्रभावित किया, जिसमें भारत के खिलाफ तीखा रुख अपनाया गया।

भारत के लिए बढ़ती कूटनीतिक चुनौती

ओआईसी का यह ताजा रुख भारत के लिए कूटनीतिक रूप से असहज करने वाला है। एक तरफ भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को वैश्विक नेता और विकास साझेदार के रूप में पेश कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ ओआईसी जैसे संगठनों में पाकिस्तान की पक्षपातपूर्ण लॉबिंग के कारण उसे विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सिंधु जल संधि जैसे पुराने और स्थिर समझौतों को भी अब भू-राजनीतिक संघर्ष के केंद्र में लाया जा रहा है, जिससे दक्षिण एशिया में अशांति और गहराने की संभावना है।

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