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जानवर नहीं साक्षात भगवान के भेजे दूत हैं ये 5 जानवर! धरती पर संकट आने से पहले ही पता लगा लेते हैं आफत, नाम जान उड़ जाएंगे होश

Signals Before Natural Disaster: बदलती धरती और बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है।

Signals Before Natural Disaster
inkhbar News
  • Last Updated: June 25, 2025 13:51:30 IST

Signals Before Natural Disaster: बदलती धरती और बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। कभी कोरोना जैसी वैश्विक महामारी तो कभी बाढ़, भूकंप और भूस्खलन जैसी विनाशकारी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। जहां इंसान आधुनिक उपकरणों से इन आपदाओं का अनुमान लगाने की कोशिश करता है, वहीं लक्षण शास्त्र के अनुसार जानवरों के पास यह शक्ति जन्मजात होती है। कई जीवों में ऐसे अंग होते हैं, जो आपदा के संकेत पहले ही पकड़ लेते हैं और असामान्य व्यवहार के ज़रिए हमें सतर्क भी करते हैं।

सांप कैसे देता है संकेत?

जानवरों के व्यवहार में अचानक आए बदलाव को कई बार अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन वैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि इनके इन्ट्यूटिव व्यवहार को समझना और नोट करना ज़रूरी है। उदाहरण के तौर पर, भूकंप या भूस्खलन से पहले सांप अपने बिलों को छोड़कर बाहर निकल आते हैं। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि ज़मीन के नीचे कुछ हलचल चल रही है जिसे वे अपने जबड़े से महसूस कर लेते हैं।

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मेंढक देता है चेतावनी

इसी तरह, मेंढक किसी बाढ़ या भूकंप के आसार होते ही बड़ी संख्या में तालाब और नदियों को छोड़कर पलायन करने लगते हैं। ये जीव धरती की कंपन और नमी में हुए बदलाव को बेहद बारीकी से महसूस कर सकते हैं। राजहंस जैसे पक्षी ऐसे समय में झुंड बनाकर एक साथ उड़ने लगते हैं, जबकि बतखें डर के मारे सीधे पानी में उतर जाती हैं।

मोर बदल देता है अपना व्यवहार

मोरों का व्यवहार भी ऐसे समय में बदला हुआ देखा गया है। वे झुंड में चीखते हैं और अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं। यह सामान्य से हटकर प्रतिक्रिया संकेत देती है कि कुछ असामान्य घटने वाला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, पक्षियों के कान और दृष्टि प्रणाली इतनी विकसित होती है कि वे धरती में चल रही हलचल या चुंबकीय परिवर्तन को पहले ही पकड़ सकते हैं।

समुन्द्री जीव कैसे करते हैं आगाह?

समुद्री जीवों का व्यवहार भी इन आपदाओं से पहले बदल जाता है। मछलियां बाढ़ या सुनामी जैसी घटनाओं से पहले समुद्र या नदी की तली में जाकर छिप जाती हैं और किनारे की ओर नहीं आतीं। यह उनके लिए एक सुरक्षात्मक प्रवृत्ति है, जो उनके जैविक तंत्र से जुड़ी होती है। इन घटनाओं से यह बात स्पष्ट होती है कि पशु-पक्षी और रेंगने वाले जीव किसी भी प्रकार की बड़ी भूगर्भीय या पर्यावरणीय हलचल को पहले ही महसूस कर लेते हैं। वे केवल अपने जीवन की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से इंसानों को भी आने वाले खतरे की चेतावनी दे सकते हैं।

वैज्ञानिक कर रहे शोध

वैज्ञानिक इस विषय पर लगातार शोध कर रहे हैं ताकि यह समझा जा सके कि जानवरों को इन घटनाओं का पूर्वाभास कैसे हो जाता है। हालांकि अभी तक इसका कोई ठोस तकनीकी स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया है, लेकिन दुनियाभर में ऐसे कई प्रमाण हैं, जहां जानवरों के असामान्य व्यवहार के बाद बड़ी आपदाएं आई हैं। अगर हम इन प्राकृतिक संकेतों को समझने की आदत डाल लें, तो समय रहते सतर्कता अपनाकर जान-माल के नुकसान को काफी हद तक टाला जा सकता है। प्रकृति अपनी भाषा में चेतावनी देती है, बस हमें उसे समझने की ज़रूरत है।

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