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मौत के 24 घंटे बाद अपने घर लौटकर वापस क्यों आती है आत्मा? गरुड़ पुराण में छुपा है इसका वो खौफनाक राज, सुनकर कांप जाएगी रूह!

Garuda Puran Katha:  मौत के बाद आत्मा का क्या होता है? क्या वह सीधे स्वर्ग या नर्क चली जाती है, या फिर कोई और प्रक्रिया होती है? इन सवालों के जवाब हमें गरुड़ पुराण में मिलते हैं, जो हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है।

Garuda Puran Katha
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  • Last Updated: June 25, 2025 15:33:19 IST

Garuda Puran Katha: मौत के बाद आत्मा का क्या होता है? क्या वह सीधे स्वर्ग या नर्क चली जाती है, या फिर कोई और प्रक्रिया होती है? इन सवालों के जवाब हमें गरुड़ पुराण में मिलते हैं, जो हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। इसमें आत्मा की मृत्यु के बाद की यात्रा और यमलोक की सच्चाई को विस्तार से समझाया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मौत के बाद आत्मा एक बार फिर पृथ्वी पर लौटती है और फिर शुरू होती है एक लंबी, कठिन और भयानक यात्रा।

कैसे होती है मृत्यु की शुरुआत?

गरुड़ पुराण के अनुसार जब कोई व्यक्ति मृत्यु के करीब पहुंचता है, तो उसका गला सूखने लगता है, त्वचा की नमी खत्म हो जाती है और शरीर हल्का लगने लगता है। आंखें धीरे-धीरे बंद हो जाती हैं और सुनने की क्षमता भी जाती रहती है। व्यक्ति कुछ कहना चाहता है, लेकिन उसकी आवाज जैसे जाम हो जाती है। इसी समय यमराज उसके पास पहुंचते हैं, जिन्हें सिर्फ वही मरता हुआ व्यक्ति देख सकता है। यमराज उसके प्राण खींच लेते हैं और आत्मा को अपने साथ यमलोक की ओर ले जाते हैं।

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आत्मा क्यों लौटती है पृथ्वी पर?

गरुड़ पुराण में यह बताया गया है कि मृत्यु के तुरंत बाद यमराज आत्मा को ढाई मुहूर्त यानी लगभग 24 घंटे के लिए दोबारा पृथ्वी पर लाते हैं। इसका उद्देश्य व्यक्ति के पूरे जीवन के कर्मों की दोबारा समीक्षा करना होता है। इस दौरान आत्मा अपने घर-परिवार के आस-पास भटकती रहती है। इस समय को हिन्दू धर्म में अत्यंत संवेदनशील माना गया है और यही कारण है कि पिंडदान और मृत्यु से जुड़ी अन्य क्रियाएं शुरू की जाती हैं।

तेरहवीं तक आत्मा कहां रहती है?

मृत्यु के बाद 13 दिन तक आत्मा को नया सूक्ष्म शरीर दिया जाता है, जिससे वह अपनी आगे की यात्रा कर सके। इन तेरह दिनों में परिजन जो भी धार्मिक क्रियाएं करते हैं, वे आत्मा के इस नए शरीर को बनाने में सहायक होते हैं। 13वें दिन आत्मा इस सूक्ष्म शरीर को धारण कर यमलोक की ओर यात्रा शुरू करती है। लेकिन यह यात्रा आसान नहीं होती।

पैदल तय करनी पड़ती है लाखों किलोमीटर की दूरी

गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक की दूरी 99 हजार योजन यानी करीब 11 लाख 99 हजार 988 किलोमीटर बताई गई है। यह यात्रा आत्मा को पैदल करनी होती है। अगर व्यक्ति ने जीवन में बुरे कर्म किए हों, तो यह मार्ग और भी कठिन व पीड़ादायक हो जाता है। कई बाधाएं और यातनाएं उसे रास्ते में झेलनी पड़ती हैं।

यमलोक के 16 भयानक नगर

यमलोक पहुंचने के बाद आत्मा को 16 भयानक नगरों से गुजरना होता है, जहां उसके कर्मों के अनुसार उसे दंड या फल प्राप्त होता है। जिसने दूसरों को नुकसान पहुंचाया हो, उसे कठोर सजा दी जाती है। वहीं, जिन्होंने जीवन में अच्छे कर्म किए हों, उन्हें शांति और मुक्ति का मार्ग मिलता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।