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पर्यावरण मंत्रालय को NGT की लताड़, कहा- हमसे इजाजत क्यों नहीं ली

यमुना किनारे श्री श्री रविशंकर के प्रोग्राम वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवेल को लेकर एनजीटी में सुनवाई शुरू हो गई है. एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय को लताड़ लगाई है. एनजीटी ने कहा है कि शो करने से पहले हमसे इजाजत नहीं ली गई है और न ही शो को लेकर कोई हलफनामा दायर किया गया.

वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवेल, world culture festival
inkhbar News
  • Last Updated: March 9, 2016 08:02:28 IST
नई दिल्ली. यमुना किनारे श्री श्री रविशंकर के प्रोग्राम वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवेल को लेकर एनजीटी में सुनवाई शुरू हो गई है. एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय को लताड़ लगाई है. एनजीटी ने कहा है कि शो करने से पहले हमसे इजाजत नहीं ली गई है और न ही शो को लेकर कोई हलफनामा दायर किया गया. 
 
क्या कहा NGT ने?
एनजीटी ने सभी विभागों से सवाल पूछा, इससे पहले कभी इतना बड़ा आयोजन देखा है? एनजीटी कोर्ट में सुनवाई के दौरान जल संसाधन मंत्रालय ने बताया कि जल संसाधन मंत्रालय ने कार्यक्रम के लिए मंजूरी नहीं दी. एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण कमिटी से पूछा- बिना जांच किए एंजाइम डालने की इजाजत दे देंगे? यमुना को प्रदूषित होने देंगे? इससे पहले कल्चरल फेस्टिवेल को लेकर एनजीटी में आज भी सुनवाई जारी है. इससे पहले मंगलवार को इस पर कोई फैसला नहीं हो सका. 
 
एनजीटी ने केंद्र सरकार से पूछा है कि यमुना किनारे किसी भी अस्थायी ढांचे को बनाने के लिए इन्वायरन्मेंटल क्लियरेंस की ज़रूरत क्यों नहीं है ? एनजीटी ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस दिया है और पूछा है कि उन्होंने इस कार्यक्रम से होने वाले नुकसान का आकलन किया है या नहीं. 
 
आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से क्या कहा?
दूसरी ओर आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से कहा गया है कि उसने सभी शर्तें पूरी करते हुए कार्यक्रम की इजाज़त मांगी है. श्रीश्री रविशंकर के मेहमानों को मच्छरों या दूसरे कीड़ों से दिक्कत न हो, इसके लिए मंगलवार को यमुना किनारे कीटनाशकों का छिड़काव किया गया. एमसीडी के 300 लोग यहां कामकाज में लगे हुए हैं, हालांकि अफ़सर नहीं मानते कि इस छिड़काव से कोई ख़तरा है. इधर, एनजीटी में इस सवाल पर सुनवाई चलती रही कि यमुना किनारे यह कार्यक्रम कराना कितना ख़तरनाक है.
 
आर्ट ऑफ लिविंग के वकीलों ने कहा कि संस्था ऐसे कार्यक्रम दुनिया भर में कराती है. आयोजन नदी में नहीं, नदी किनारे हो रहा है. वहीं श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि उनके लोग नदी की सफ़ाई में लगे हैं न कि नदी को गंदा करने में. पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाली सामग्री काम में लाई जा रही है.
 
वहीं डीडीए की शिकायत यह है कि आर्ट ऑफ लिविंग ने उन्हें कार्यक्रम की पूरी जानकारी नहीं दी. एनजीटी के सामने डीडीए ने कहा कि कार्यक्रम को नियमों के तहत मंजूरी दी गई, लेकिन मंजूरी से ज्यादा जगह घेरी गई. 

 

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