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खुशबूदार फूल ‘केवड़ा’ की खास जानकारी

केवड़ा सुगंधित फूलों वाले वृक्षों की एक प्रजाति है. जो घने जंगलों में पाए जाते है. पतले, लंबे, घने और कांटेदार पत्तों वाले पेड़ की दो प्रजातियां है. सफेद और पीली सफेद जाति को केवड़ा और पीली को केतकी कहते हैं. केतकी बहुत सुगंन्धित होती है और उसके पत्ते कोमल होते हैं. इसमें जनवरी और फरवरी में फूल लगते हैं. इसके वृक्ष गंगा नदी के सुन्दरवन डेल्टा में बहुतायत से पाए जाते हैं.

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  • Last Updated: May 4, 2016 10:28:25 IST
नई दिल्ली. केवड़ा सुगंधित फूलों वाले वृक्षों की एक प्रजाति है. जो घने जंगलों में पाए जाते है. पतले, लंबे, घने और कांटेदार पत्तों वाले पेड़ की दो प्रजातियां है.  सफेद और पीली सफेद जाति को केवड़ा और पीली को केतकी कहते हैं. केतकी बहुत सुगंन्धित होती है और उसके पत्ते कोमल होते हैं. इसमें जनवरी और फरवरी में फूल लगते हैं. इसके वृक्ष गंगा नदी के सुन्दरवन डेल्टा में बहुतायत से पाए जाते हैं. 
 
केवड़ा का उपयोग इत्र, पान मसाला, गुलदस्ते, लोशन ,तम्बाखू, केश तेल, अगरबत्ती , साबुन में सुगंध के रूप में किया जाता है. केवड़ा जल का उपोग मिठाई, सायरप और शीतल पेय पदार्थों में सुगंध लाने के लिए करते है.
 
इसकी पत्तियों का उपयोग झोपड़ियों को ढ़कने, चटाई तैयार करने, टोप, टोकनियों और कागज निर्माण करने के लिए किया जाता है. इससे प्राप्त लंबी जड़ों के रेशो का उपयोग रस्सी बनाने में और टोकनियां बनाने में किया जाता है. केवड़ा तेल का उपयोग औषधि के रूप सिरदर्द और गठियावत में किया जाता है. 
 
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