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क्या पुराने किले से निकलेगा महाभारत काल का कनेक्शन? एएसआई ने की खुदाई शुरू

एएसआई ने दिल्ली के पुराने किले की खुदाई शुरू कर दी है. इस किले से महाभारत काल का कनेक्शन निकाला जा सकता है. पुराने किले को पांडव किला के नाम से भी जाना जाता रहा है.

पुराना किला महाभारत
inkhbar News
  • Last Updated: December 21, 2017 17:33:57 IST

नई दिल्ली. अब तक तीन बार दिल्ली के पुराने किले की खुदाई हो चुकी है, जिसे पांडव किला भी कहा जाता है. आमतौर पर माना जाता है कि जितने भी बाहरी आक्रांता आए, उन्होंने जो नई बिल्डिंग्स, किले आदि बनाए, वो किसी ना किसी मौजूदा इमारत को तोड़कर ही बनाए थे. ऐसे में पुराने किले को पीढियां पांडवों का किला कहते आ रही हैं और दिल्ली को पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ तो समय समय पर इसमें खुदाई होती रही. 1954-55 में मशहूर पुरातत्वविद बीबी लाल ने भी यहां खुदाई करवाई थी, जिसमें से पॉटरी, टेराकोटा फिगर्स और कॉपर कोइंस पाए गए, जिनका सीधा रिश्ता मौर्या और गुप्त युग से तो निकलता ही है, कार्बन डेटिंग में ईसा पूर्व 1000 ईसवी की तारीख भी सामने आई. अब फिर से एएसआई ने इस पुराने किले का पांडव कनेक्शन पता करने के लिए इसमें खुदाई शुरू करवा दी है.

पांडव किले में एक कुंती मंदिर भी इस दावे को बल देता है कि इसका कुछ महाभारत कनेक्शन है, जबकि दुर्गा और शिव के लिए इस मंदिर को बनवाया गया था. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1915 में पंडित घासीराम भारद्वाज ने करवाया था. उससे पहले कब किले में ये मंदिर बना, किसी को पता नहीं है. कहा जाता है कि ये करीब 3000 साल पुराना मंदिर है. शायद पांडवों की मां कुंती ने ही इस मंदिर को बनवाया था. तो किले के भैरों मंदिर का कनेक्शन भीम से जोड़ा जाता है, उस मंदिर के निर्माण की तारीख भी किसी को पता नहीं है. 1913 में जब इस किले की मरम्मत की गई तो इसके अंदर 1900 लोग झोंपड़ियां बनाकर रह रहे थे, सबको बाहर कर दिया गया. 1947 में पुराना किला विभाजन के दौरान शरण लेने वालो की शरणगाह बन गया था, हजारों लोगों को पनाह दी इस पुराने किले ने. करीब 12 हजार तो वो मुस्लिम सरकारी कर्मचारी थे, जिन्हें पाकिस्तान में जाकर बसना था. कई फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है.

जनवरी 2014 में फिर से एएसआई ने इसकी खुदाई शुरु की थी, लेकिन पहले बारिश और बाद में किसी और वजह के चलते ये खुदाई रोक दी गई. इससे पहले 1969 और 1973 में भी एएसआई ने ऐसे खुदाई के प्रयास किए थे, लेकिन या तो वो कायदे से हुई नहीं या फिर उसमें से ऐसा कुछ खास नहीं निकला. लेकिन मौर्या और गुप्त काल से सम्बंधित वस्तुएं मिलती रहीं. मूल रूप से पुराना किला यमुना तट पर बना था, जो अब करीब एक किलोमीटर किले से दूर चली गई है. इसे दिल्ली के छठे शहर के तौर पर भी जाना जाता है. हुमायूं ने दीनपनाह नगर बनाया था और बाद में आधुनिक शक्ल शेरशाह सूरी ने दी, लेकिन वो जल्दी मर गया तो कई इमारतें अधूरी रह गई थीं. आजकल यहां दिल्ली के सात शहरों के बारे में एक लाइट एंड साउंड शो होता है. शेरशाह सूरी ने इसके अंदर एक किला ए कुहना मस्जिद भी बनवाई थी.

अभी जो खुदाई चल रही है, उसके तीन में से दो प्वॉइंट शेर मंडल के पास हैं, शेर मंडल है भले ही शेरशाह के नाम पर लेकिन इसे बाबर ने बेटे हुमायूं की लाइब्रेरी के तौर पर बनाने का आदेश दिया था, जिसे उसकी मौत के बाद खुद हुमायूं ने पूरा करवाया था. इसी लाइब्रेरी से गिरकर हुमायूं की मौत हो गई थी. ये दो मंजिला अष्टभुजाकार टॉवर की शक्ल में है, जिसके पास नहाने के लिए हमाम भी बना हुआ है. इसे बेधशाला के तौर पर भी जाना जाता था. किले में कई मस्जिदें, दरवाजे और बाहर एक बड़ी झील भी हैं, दो पुराने मंदिर भी हैं. जितना कम समय शेरशाह और हुमायूं को इस किले के लिए मिला, उससे लगता नहीं है कि ये किला पूरी तरह नया होगा. इसी के चलते कई बार इतिहासकारों ने इसके महाभारत कनेक्शन को लेकर सवाल उठाए थे, इस बार लगता है कि एएसआई वो कनेक्शन ढूंढ ही लेगी, क्योंकि कहा जा रहा है कि एएसआई इस काम में तीन साल लेने वाली है.

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https://www.youtube.com/watch?v=6tb3iBViwu4

 

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