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अटल बिहारी वाजपेयी जन्मदिन विशेषः वाजपेयी ने असल में ये कहा था कि नरेंद्र मोदी राजधर्म का पालन कर रहे हैं

देश के पूर्व प्रधानमंत्री और राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी का सोमवार को जन्मदिन है. वाजपेयी 25 दिसंबर, 2017 को 93 साल के हो जाएंगे. गुजरात दंगों के बाद 4 अप्रैल, 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अहमदाबाद पहुंचे थे. इस दौरान प्रेस कॉंफ्रेंस में अटल जी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 'राजधर्म' के पालन का संदेश दिया. हालांकि इसके ठीक बाद अटल जी बोले कि उन्हें विश्वास है कि नरेंद्र मोदी अपने राजधर्म का पालन कर रहे हैं.

Atal Bihari Vajpayee
inkhbar News
  • Last Updated: December 24, 2017 23:00:03 IST

नई दिल्लीः देश के पूर्व प्रधानमंत्री और राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी का सोमवार को जन्मदिन है. वाजपेयी 25 दिसंबर, 2017 को 93 साल के हो जाएंगे. गुजरात के इतिहास में बदनुमा दाग माने जाने वाले गुजरात दंगों के बाद 4 अप्रैल, 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अहमदाबाद पहुंचे थे. यहां उन्होंने एक प्रेस कॉंफ्रेंस के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संदेश दिया. वो संदेश दरअसल सीएम नरेंद्र मोदी के लिए एक नसीहत थी, ‘राजधर्म’ के पालन की नसीहत. हालांकि इसके ठीक बाद अटल जी बोले कि उन्हें विश्वास है कि नरेंद्र मोदी अपने राजधर्म का पालन कर रहे हैं.

गुजरात दंगों के मुद्दे पर अहमदाबाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेस कॉंफ्रेंस आयोजित की गई थी. इस दौरान एक महिला पत्रकार ने अटल जी से पूछा, क्या आपकी विजिट में चीफ मिनिस्टर (नरेंद्र मोदी) के लिए भी कोई मैसेज है? इस सवाल के जवाब में अटल जी ने कहा, ‘एक चीफ मिनिस्टर के लिए मेरा एक ही संदेश है कि वो राजधर्म का पालन करें. राजधर्म.. ये शब्द काफी सार्थक है. मैं उसी का पालन कर रहा हूं, पालन करने का प्रयास कर रहा हूं. राजा के लिए, शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता. न जन्म के आधार पर-न जाति के आधार पर, न संप्रदाय के आधार पर.’

इसी बीच प्रेस कॉंफ्रेंस में अटल जी के साथ बैठे नरेंद्र मोदी मुस्कुराते हुए बोलते हैं, ‘हम भी वही कर रहे हैं साहब.’ अटल जी ने मौके की नजाकत को भांपते हुए कहा, ‘मुझे विश्वास है कि नरेंद्र भाई यही कर रहे हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.’ उल्‍लेख एनपी द्वारा लिखी किताब ‘द अनटोल्ड वाजपेयी’ के अनुसार, अप्रैल माह में ही अपने सिंगापुर दौरे पर फ्लाइट के दौरान वाजपेयी चिंतित थे कि देश के बाहर उन्‍हें और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा. हालांकि तत्‍कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने वाजपेयी को आडवाणी से बात करने की सलाह दी.

सिंगापुर दौरे के आखिरी दिन प्रेस कॉंफ्रेंस में एक पत्रकार ने धार्मिक हिंसा का जिक्र करते हुए सवाल पूछा, ‘भारत में ऐसी हिंसा एक बार नहीं, कई बार हुई है. भारत के अनुभव से सिंगापुर क्‍या सीख सकता है?’ वाजपेयी ने माथा रगड़ने के बाद धीमी आवाज में जवाब दिया, ‘भारत में जो भी हुआ, बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण था. दंगे नियंत्रित किए जा चुके हैं. अगर गोधरा स्‍टेशन पर साबरमती एक्‍सप्रेस के यात्रियों को जिंदा जलाया नहीं गया होता, तो शायद गुजरात वीभिषा रोकी जा सकती थी. यह साफ है कि घटना के पीछे कोई साजिश थी.’

बहरहाल राजनीति के ध्रुव तारा माने जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्हें सुनने के लिए उनके विपक्षी नेता भी बेहद उत्सुक नजर आते थे. संसद में जब अटल बोलते थे तो हर कोई उनकी ओर टकटकी लगाए देख रहा होता था, उन्हें गौर से सुन रहा होता था. अटल न सिर्फ एक कुशल राजनेता बनकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे बल्कि उन्होंने अपने जीवन में एक कवि, पत्रकार और एक प्रखर वक्ता की भूमिका भी बहुत ही शानदार तरीके से निभाई है. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था. अटल भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले नेताओं में से एक हैं. अटल 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. आम नेता से राजनीति के शिखर तक पहुंचने का अटल जी का सफर आज युवा नेताओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है.

 

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