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जानिए क्यों हर मुसलमान के लिए जरूरी है हज यात्रा?

दुनिया में हर एक मुसलमान की चाहत होती है कि वह हज यात्रा पर जाए. इस्लाम के हिसाब से हर एक मुसलमान के लिए 5 फर्ज जैसे नमाज, रोजे, जकात, क़ुर्बानी और हज यात्रा जरूरी है. सच्चे मन के साथ पाक काबे की जियारत ( दर्शन) को विशेष तरह से अदा करने को हज कहा जाता है.

Haj
inkhbar News
  • Last Updated: January 29, 2018 06:09:05 IST

नई दिल्ली: दुनिया में हर एक मुसलमान की चाहत होती है कि वह हज यात्रा पर जाए. दरअसल, इस्लाम के हिसाब से हर एक मुसलमान के लिए 5 फर्ज जैसे नमाज, रोजे, जकात, क़ुर्बानी और हज यात्रा जरूरी है. हालांकि अगर कोई मुसलमान शारिरिक या आर्थिक रूप से बेहतर नहीं है तो हज उसके लिए जरूरी नहीं माना जाता है. हज में की जाने वाली इबादतें पवित्र शहर मक्का और उसके आसपास स्थित कई जगहों पर पर की जाती है. पूरे मन के साथ पाक काबे की जियारत ( दर्शन) विशेष तरह से अदा करने को हज कहा जाता है.

हज के दौरान सभी लोगों को एक विशेष रूप से सफेद कपड़ा पहनना पड़ता है जिसे एहराम कहा जाता है. इस तरह का लिबास लोगों के बीच आपसी भेद-भाव खत्म करन के लिए पहना जाता है. दरअसल, इस कफन जैसे सफेद कपड़े को पहनकर वहां पर मौजूद सभी लोग बराबर हैसियत के हो जाते हैं. पूरी हज यात्रा के दौरान लोगों को अपना अधिकतर समय खुदा की इबादत को देना पड़ता है. करीब 40 दिनों तक चलने वाली हज यात्रा के दैरान लोगों की जबान पर ‘हाजिर हूं अल्लाह, मैं हाजिर हूं. तेरा कोई शरीक नहीं, हाजिर हूं. तमाम तारीफ़ात अल्लाह के लिए है और नेमतें भी तेरी हैं. यह मुल्क भी तेरा है. ऐ खुदा तेरा कोई शरीक नहीं है.

दरअसल पूरी हज यात्रा के दौरान दुनिया भर से आए सभी मुसलमानों को यह याद दिलाया जाता है कि उन्होंने इस दुनिया में जन्म किसी लालच के लिए नहीं लिया है. खुदा बहुत रहमवाला है और सारी कायनात को अल्लाह तआला ने बनाया है और वो ही सबका मालिक है. इसके साथ ही मुसलानों को बताया जाता है कि उन्हें पूरी दुनिया में बिना किसी के साथ गलत नहीं करना चाहिए. किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. सब लोगों को सच्चे मन से एक दूसरे के साथ रहते हुए खुदा को याद करते रहना चाहिए.

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