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भारत का फ्रांस से हुआ राफेल सौदा, चीन-पाक की उड़ी नींद

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारत और फ्रांस के बीच शुक्रवार को राफेल फाइटर प्लेन के सौदे पर हस्ताक्षर हो ही गए. भारत दौरे पर आए फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां यीव ली ड्रियान और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 36 राफेल विमानों के इस समझौते पर हस्ताक्षर किए.

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  • Last Updated: September 23, 2016 09:34:46 IST
नई दिल्ली. लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारत और फ्रांस के बीच शुक्रवार को राफेल फाइटर प्लेन के सौदे पर हस्ताक्षर हो ही गए. भारत दौरे पर आए फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां यीव ली ड्रियान और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 36 राफेल विमानों के इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. फ्रांस से भारत 7.8 बिलियन यूरो या 59,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल विमान खरीद रहा है.
 
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पीएम मोदी ने लगभग डेढ़ साल पहले अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा की थी. इस दौरान दोनों देशों के बीच गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील के लिए भी समझौता हुआ था. राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस की डसाल्ट एविएशन कंपनी बनाती है. सौदे के लिए शुरुआती बातचीत 1999-2000 में हुई थी. राफेल सौदे पर हस्ताक्षर होने के 36 महीने के भीतर यानी 2019 में विमान भारत आना शुरु हो जाएंगे. सारे विमान 66 महीने के भीतर सीधा फ्रांस से भारत आ जाएंगे.
 
क्या है राफेल की खासियत?
यह दो इंजन वाला विमान है. राफेल का इस्तेमाल फिलहाल सीरिया और इराक में बम गिराने के लिए किया जा रहा है. राफेल 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. इसे हर तरह के मिशन पर भेजा जा सकता है. इसकी अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा है. यहां तक की चीन के पास भी इसकी टक्कर का कोई विमान नहीं है. इसकी मदद से एयरफोर्स भारत में रहकर ही पाक और चीन में हमला कर सकती है. राफेल में हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइलें होंगी. यही नहीं यह परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है.

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