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आखिर क्यों गुंबदनुमा बनाए जाते हैं मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे, जानिए वैज्ञानिक कारण

आप अक्सर मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारे जाते हैं. क्या आपने कभी वहां जाकर उनकी बनावट पर ध्यान दिया. अधिकतर धार्मिक स्थल गुंबदनुमा होते हैं. क्या आप जानते हैं इसके पीछे आस्था के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है.

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  • Last Updated: April 24, 2018 06:04:24 IST

नई दिल्ली. भारत एक धार्मिक देश हैं यहां भगवान में आस्था रखने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है. देश के अलग-अलग समुदाय के लोग अपनी मान्याताओं के अनुसार मंदिर, मस्जिद, चर्च और बाकी सभी धर्मास्थलों पर जाते हैं. अगर आप किसी धर्मस्थल पर जाते हैं तो कभी उनकी बनावट पर गौर किया. आपने देखा होगा कि मंदिर हो या मस्जिद हर एक बनावट गुंबदनुमा होती है. इनका उपरी हिस्सा गुंबदनुमा बनाया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा आखिर अधिकतर धर्मस्थलों की बनावट ऐसी क्यों होती है. दरअसल एक दिलचस्प बात है कि ऐसा होने के पीछे महज आस्था नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है. आज हम आपको बताते हैं इनके गुंबदनुमा होने का वैज्ञानिक कारण .

जब भी आप इश्वर की प्रार्थना करते हैं तो उस दौरान आपका मुख ध्वनि तरंगें छोड़ता है. ऐसे में अगर आप इश्वर की भक्ती खुले में बैठकर करेंगे तो वो तरंगे ब्रम्हाण्ड में कहीं खो जाएंगी. जिस वजह से आपको कुछ अधूरापन महसूस होगा. आपको कुछ ऐसा लगेगा जैसे उपरवाले तक आपकी प्रार्थना पहुंची ही नहीं. लेकिन अगर आप कभी गुंबदनुमा किसी धार्मिक स्थल में जाकर प्रार्थना करते हैं तो वहां आपसे निकलने वाली ध्वनि तरंगे वापस आपको सुनाई देंगी. उस समय आप ऐसा महसूस करते हैं जैसे इश्वर आपकी हर एक बात सुन रहा है.

आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि उपरवाले को याद बड़ी ही श्रद्दा और एकाग्रता के साथ करना चाहिए. सच्चे दिल से की गई प्रार्थना ईश्वर तक जरूर पहुंचती है. ईश्वर आपकी मनोकामना पूरी करता है. ऐसे जब आप किसी गुंबदनुमा धार्मिक स्थल में ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो आपके आस-पास तरंगों के एक सर्किल का निर्माण हो जाता है. भक्त को इस सर्कल से मानसिक शांति प्राप्त होती है और वह आसानी से ईश्वर पर ध्यान लगा लेते हैं. इसलिए अधिक से अधिक समय प्रभु को याद धार्मिक स्थलों में ही करना चाहिए.

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