Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • दो अलग-अलग मुद्दे हैं यूनिफॉर्म सिविल कोड और तीन तलाक: अरुण जेटली

दो अलग-अलग मुद्दे हैं यूनिफॉर्म सिविल कोड और तीन तलाक: अरुण जेटली

तीन तलाक के मुद्दे पर देश में छिड़ी बहस के बीच अब सरकार की तरफ से स्थिति साफ होती दिख रही है. वित्त वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को अपने ब्लॉग में मोदी सरकार के दृष्टिकोण को और साफ करने की कोशिश की है. 'तीन तलाक और सरकार के हलफनामे' शीर्षक से लिखे ब्लॉग में जेटली ने कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड और तीन तलाक दो अलग-अलग मुद्दे हैं.

triple talaq, uniform civil code, bjp government, all india muslim personal law board, arun jaitley, Narendra Modi
inkhbar News
  • Last Updated: October 16, 2016 16:20:23 IST
नई दिल्ली. तीन तलाक के मुद्दे पर देश में छिड़ी बहस के बीच अब सरकार की तरफ से स्थिति साफ होती दिख रही है. वित्त वित्त मंत्री अरुण जेटली ने  रविवार को अपने ब्लॉग में मोदी सरकार के दृष्टिकोण को और साफ करने की कोशिश की है. ‘तीन तलाक और सरकार के हलफनामे’ शीर्षक से लिखे ब्लॉग में जेटली ने कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड और तीन तलाक दो अलग-अलग मुद्दे हैं.
 
पर्नसल लॉ पर जेटली ने ब्लॉग में लिखा है कि कोई भी पर्सनल लॉ को संविधान के दायरे में होना चाहिए. अरुण जेटली ने लिखा है कि तीन तलाक की संवैधानिक वैधता और समान आचार संहिता पूरी तरह अलग हैं. इस मुद्दे पर सरकार का नजरिया साफ है कि पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में होना चाहिए. तीन तलाक को सम्मान और समानता के अधिकार के साथ जीने के पैमाने पर ही परखा जाए.

 
इसमें ये कहने की जरूरत नहीं कि दूसरे पर्सनल लॉ पर भी यही बातें लागू होती हैं. बता दें कि सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके स्थिति साफ की जा चुकी है कि कि यूनिफॉर्म सिविल कोड और तीन तलाक अलग-अलग मुद्दे हैं. जेटली ने कहा कि हरेक का मौलिक अधिकारों का पालन होना चाहिए.
 
बता दें कि कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने तीन तलाक खत्म करने की राय दी है, लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (MPLB) इस मुद्दे पर नारजगी जताई और इस मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं है. लॉ कमिशन ने विभिन्न धर्मों में महिला विरोधी कुरीतियों को हटाने के मकसद से जनता की राय मांगी थी. इसमें तीन तलाक, बहु विवाह और दूसरी प्रथाओं को लेकर 16 सवालों के जरिए सरकार ने राय मांगी थी.
 
लॉ कमिशन से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बात पर बेहद नाराज है. बोर्ड का कहना है कि इस देश में कई धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं. हमे सभी को सम्मान देना चाहिए. सरकार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के धार्मिक मामलों में दखल न देने को कहा है.
 
वित्त मंत्री ने कहा है कि सभी को समानता के गरिमा और मानदण्ड के साथ जीने का अधिकार है. इस पर न्याय करना होगा. उन्होंने कहा कि रीति-रिवाज, धार्मिक प्रथाओं और नागरिक अधिकारों में एक बुनियादी अंतर है. इस मामले में केंद्र सरकार का नजरिया साफ है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को संवैधानिक तरीकों को मानना चाहिए.

Tags