Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • Section 377: धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई, समलैंगिकता पर हुई बहस से जुड़ी 10 बड़ी बातें

Section 377: धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई, समलैंगिकता पर हुई बहस से जुड़ी 10 बड़ी बातें

Supreme Court IPC Section 377 Hearing: सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई की जारी है कि क्या आईपीसी की धारा 377 (समलैंगिकता) अपराध हैं या नहीं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की नेतत्व बेंच इस मामले की सुनवाई की है. फिलहाल कोर्ट में सुनवाई कल यानी गुरुवार तक के लिए लिए रोक दी गई है. जानिए इस सुनवाई की 10 बड़ी बातें.

Supreme Court IPC Section 377 Hearing: know 10 big points about second day hearing
inkhbar News
  • Last Updated: July 11, 2018 17:03:43 IST

नई दिल्ली.  समलैंगिकता( धारा 377) अपराध है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में आज यानि बुधवार को इस मामले में सुनवाई चल रही है. इस केस की हियरिंग चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की नेतत्व वाली संवैधानिक बेंच कर रही है. जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस एम खानविलकर इस बेंच में शामिल हैं.

दूसरी ओर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने समलैंगिकता के मुद्दे पर निर्णय सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया है. केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी तुषार मेहता सरकार की ओर से जारी एक एफिडेविट कोर्ट में पेश करते हुए इस मामले का फैसला कोर्ट पर छोड़ दिया है. कोर्ट में दोनों पक्षों के वकील क्यूरेटिव पिटिशन पर चल रही इस सुनवाई में दलील पेश कर रहे हैं. फिलहाल आज की सुनवाई कोर्ट में रोक दी गई. गुरुवार को इस मामले पर आगे सुनवाई की जाएगी. जानिए इस मामले की सुनवाई की 10 बड़ी बातें.

1. बुधवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिकता( धारा 177) अपराध है या नहीं, मुद्दे पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की नेतत्व वाली संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही है. कोर्ट की इस बेंच में जस्टिस इंदु मल्होत्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस एम खानविलकर शामिल हैं.

2. सुप्रीम कोर्ट में इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एएसजी तुषार मेहता ने सरकार की तरफ से जारी एक एफिडेविट कोर्ट में पेश किया. जिसके बाद केंद्र सरकार ने इस मामले पर फैसला पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया है.

3. एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट विचार करे कि क्या धारा 377 को अपराधीकरण से बाहर किया जाए. इसके साथ ही अगर इस मुद्दे के अलावा दूसरे बड़े मुद्दों पर विचार होगा तो इसके परिणाम दूरदामी होंगे.

4. सरकार की ओर से पेश एएसजी तुषार मेहता ने जस्टिस चंद्रचूड के हदिया मामले पर फैसले पर कहा है कि दो बालिगों को आपसी सहमति से साथी चुनने का अधिकार है लेकिन खून रिश्ते में नहीं हो सकता है. हिंदू कानून में यह मामला प्रतिबंधित है.

5. इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि धारा 377 आईपीसी संवैधानिक है या नहीं, यह हलफनामा सिर्फ इस सवाल तक सीमित है. केंद्र सरकार का कहना है कि अगर कोर्ट दूसरे मुद्दे जैसे सैक्स, विवाह आदि पर बात करता है तो सरकार की ओर से दूसरा विस्तृत हलफनामा पेश किया जाएगा.

6. सुप्रीम कोर्ट के जीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा है कि अगर बालिगों ने सहमति से अप्राकृतिक सेक्स किया है तो वह अपराध के दायरे में नहीं आना चाहिए.

7. इस मामले में सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि सेक्स की धारणाओं के लिए हम यहां नहीं बैठे हैं. उन्होंने कहा है कि वे यहां दो बालिगों द्वारा अपनी इच्छा से बनाए जाने वाले खास तरह के संबंधों के मुद्दे पर बहस करने के लिए बैठे हैं.

8. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि अगर दो समलैंगिक मुंबई के मेरीन ड्राइव पर घूम रहे हों और वहां पुलिस उन्हें परेशान करें या उनके ऊपर मुकदमा करें, यह हम नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा कि धारा 377 समानता के आधार पर, आजादी के अधिकार, लिंग आधार पर भेदभाव और इज्जत के साथ जीने के सभी अधिकारों की हनन करती है.

9. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि कोर्ट में हम बहस कर रहे हैं कि क्या जीने के अधिकार में समलैंगिकता को शामिल किया जा सकता है.

10. वहीं याचिकाकर्ताओं में से एक की वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा है कि नैतिकता के खिलाफ होने की वजह से धारा 377 कभी अस्तित्व में नहीं रह सकती है. मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि यह धारा उन लोगों की राजनीतिक और समाजिक अधिकारों का हनन करती हैं.

Section 377 hearing LIVE updates: आज की सुनवाई खत्म, गुरुवार तीसरे दिन भी जारी रहेगी बहस

धारा 377: समलैंगिकता पर बोले सुब्रमण्यम स्वामी- होमोसेक्सुअलिटी हिदुंत्व के खिलाफ, बीमारी है ये

Tags