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500 या 1000 का कोई भी नोट काला धन नहीं है, किसके हाथ में कैसे पहुंचा, इससे तय होता है उसका रंग

नरेंद्र मोदी सरकार ने 500 और 1000 के नोट को बंद करके 500 के नए नोट और 2000 का नोट लाया है जिसके बाद देश में काला धन और सफेद धन पर बहुत चर्चा हो रही है लेकिन समझने वाली बात ये है कि सुबह में किसी की जेब में 500 या 1000 का एक सफेद नोट शाम में किसी के पर्स में जाते ही काला हो जाता है.

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  • Last Updated: November 21, 2016 14:42:01 IST
नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी सरकार ने 500 और 1000 के नोट को बंद करके 500 के नए नोट और 2000 का नोट लाया है जिसके बाद देश में काला धन और सफेद धन पर बहुत चर्चा हो रही है लेकिन समझने वाली बात ये है कि सुबह में किसी की जेब में 500 या 1000 का एक सफेद नोट शाम में किसी के पर्स में जाते ही काला हो जाता है.
 
इसे ऐसे समझिए कि आप नौकरी करते हैं. आपको तनख्वाह मिली और आपने एटीएम से 500 या 1000 के नोट निकाले. ये सफेद है. आप पहुंचे बाजार और उससे एक साड़ी खरीद ली. दुकानदार अगर साड़ी पर सारे टैक्स आपसे ले रहा है, आपको पक्की रसीद दे रहा है और सरकार के पास सारे टैक्स जमा कर रहा है तो उसके पास भी ये नोट सफेद ही है.
 
ऐसे सुबह से शाम तक एक ही नोट सफेद-काला-सफेद-काला-सफेद होता रहता है
अगर ये दुकानदार एक मकान खरीदता है और बेचने वाला कहता है कि मकान 20 लाख का है लेकिन रजिस्ट्री वैल्यू 15 लाख की है इसलिए वो सफेद में 15 लेगा और बाकी के 5 लाख ब्लैक में लेगा. तो वो दुकानदार आपके 500 और 1000 के नोट को अगर 15 लाख वाले हिस्से में देता है तो वो सफेद रहेगा लेकिन अगर 5 लाख वाले हिस्से में देता है तो वो काला हो जाएगा.
 
 
मोटा-मोटी ये कि ऐसी कमाई जिसे आप सरकार को घोषित नहीं कर सकते, बता नहीं सकते क्योंकि ऐसा करने पर आपको टैक्स देना पड़ सकता है, वो काला धन है. 
 
एक और उदाहरण से समझिए. आपके पिताजी किसान हैं. उन्होंने अनाज बेचा और पैसे लेकर घर आए. ये पैसा सफेद है. आप बीमार पड़े तो उन्होंने आपको उससे 500 और 1000 के नोट दिए कि डॉक्टर से दिखा लो. आप डॉक्टर के क्लीनिक गए और उनको फीस दिया. अब अगर डॉक्टर साहब ने वो फीस अपने इनकम में दिखाया तो वो सफेद रहेगा नहीं तो वो काला हो जाएगा.
 
 
अगर डॉक्टर साहब ने उसे आय में नहीं दिखाया तो वो काला है लेकिन अगर उससे वो बाजार जाकर कार खरीद लेते हैं तो कार एजेंसी के गल्ले में पहुंचते ही वो नोट सफेद हो जाएगा. अब कार एजेंसी का मालिक उस नोट से अगर सोना खरीदता है लेकिन रसीद नहीं लेता है और अपने आयकर रिटर्न में उस सोने को नहीं दिखाता है तो वो सोना काला हो जाएगा.
 
बात समझने की ये है कि नोट काला नहीं होता. काला होता है उस आदमी का हाथ जिसमें वो पहुंचा हो और जिस रास्ते पहुंचा हो. एक नोट सुबह से शाम तक अगर पांच हाथ में जाता है तो हो सकता है कि दो हाथ में वो काला धन रहा हो और तीन हाथ में सफेद.
 
 
इसलिए ये मत समझिए कि 14 लाख करोड़ के 500 और 1000 के जो नोट बंद हो गए वो काला धन थे. वो किनके पास, किस हालत में थे, इससे तय होता कि वो काला है या सफेद.
 
500 और 1000 के नोट बैन से बाजार से 14 लाख करोड़ गायब, भरपाई में लग सकता है 6 महीने का वक्त
 
देश में काला धन को लेकर बहुत सारे अनुमान हैं लेकिन औसत अनुमान ये है कि अर्थव्यवस्था में 20 परसेंट काला धन है. काला धन का सबसे बड़ा हिस्सा सोना और रीयल एस्टेट में है. इसका मतलब ये नहीं कि बाकी धंधे में काला धन नहीं है. सरकार ने 500 रुपए के 1658 करोड़ नोट और 1000 रुपए के 668 करोड़ नोट को बंद किया है जिसकी कुल रकम करीब 14 लाख करोड़ बनती है.
 
कहा जा रहा है कि देश के बाजार में चल रहा 86 परसेंट रुपया इस वजह से बेकार हो गया है. मतलब ये कि अगर देश के बाजार में 100 रुपए थे तो 500 और 1000 का नोट बैन होने के बाद अब देश के पास खर्च करने के लिए मात्र 14 रुपए के नोट बचे हैं जो चल रहे हैं. 2000, 500 और 100 के नए नोट की सप्लाई के साथ ही वो 14 रुपया बढ़कर 15, 16, 17… हो रहा है. 
 
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार से गायब हो गए 86 रुपए की भरपाई करने में सरकार को करीब 6 महीने तक का वक्त लग सकता है क्योंकि देश में हर महीने 500 के 100 करोड़ नोट और 2000 रुपए के 133 करोड़ नोट छापे जा सकते हैं.
 
बाजार से 500 और 1000 रुपए के नोट बैन से जो 14 लाख करोड़ चलने लायक नहीं रह गया है उसकी भरपाई इन नए नोटों के छपने से ही होगी जिसमें वक्त लगेगा.

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