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तीन तलाक अपराध तभी जब पत्नी या मायके वाले पुलिस के पास दर्ज कराएंगे ट्रिपल तलाक का केस- कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद

नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बुधवार को तीन तलाक बिल मामले में ऐतिहासिक फैसला लिया है. राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल के अटकने के बाद सरकार ने इसे लागू कराने के लिए अध्यादेश का रुख अख्तियार किया. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बारे में बताते हुए कहा कि तीन तलाक का कोई भी मामला तभी अपराध की श्रेणी में आएगा जब पत्नी या उसके खून के रिश्ते के लोग (मायके वाले) आरोपी के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराएंगे.

Union minister Ravi Shankar Prasad on Triple Talaq ordinance
inkhbar News
  • Last Updated: September 19, 2018 14:05:20 IST

नई दिल्लीः नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बुधवार को तीन तलाक मामले में लाए गए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल के लटकने के बाद पिछले काफी समय से मोदी सरकार इस मामले में अध्यादेश लाने पर विचार कर रही थी. यह अध्यादेश 6 महीने तक लागू रहेगा. इस अवधि में मोदी सरकार को इसे संसद से पारित कराना जरूरी होगा. मोदी सरकार के पास इस बिल को पास कराने के लिए शीतकालीन सत्र तक का वक्त है. इस बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक का मामला तभी अपराध माना जाएगा जब पत्नी या फिर उसके खून के रिश्ते के लोग (मायके वाले) पुलिस के पास ट्रिपल तलाक का केस दर्ज कराएंगे.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट द्वारा तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, ‘तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए हैं. कोर्ट के जजमेंट जनवरी 2017 से अब तक यूपी में कोर्ट के जजमेंट के पहले 126 और कोर्ट के जजमेंट के बाद 120 ट्रिपल तलाक के मामले दर्ज हुए हैं. ये सभी मीडिया से मिले आंकड़ों के मुताबिक हैं. कई मामले तो ऐसे हैं जिन्हें दर्ज ही नहीं कराया गया. अभी तक पूरे देश में 430 तीन तलाक के मामले सामने आए, जिनमें 229 मामले जजमेंट के पहले के है और 201 जजमेंट के बाद के है.’

रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि तीन तलाक अपराध तभी संज्ञेय होगा जब खुद पीड़िता या उसके खून के रिश्ते के लोग पुलिस में शिकायत करेंगे. उन्होंने कहा कि सिर्फ पीड़िता की रजामंदी से ही समझौता होगा. इस तरह के अपराध में मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकते हैं लेकिन वह भी पीड़िता की सहमति से ही होगा. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में तीन तलाक बिल को लटकाने के लिए कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति कर रही थी. वह नहीं चाहती थी कि बिल पास हो. अगर कांग्रेसी नेताओं को इंसाफ और इंसानियत में भी राजनीति दिखाई देती है तो उन्हें समझाने का काम हमारा नहीं है.

मोदी सरकार ने तीन तलाक अध्यादेश में तीन संशोधन भी किए हैं-

पहला- पहले प्रावधान था कि इस तरह के मामलों में कोई भी व्यक्ति केस दर्ज करा सकता है. पुलिस को भी संज्ञान लेकर मामला दर्ज करने का अधिकार दिया गया था लेकिन अब पीड़ित महिला या फिर उसके रिश्तेदार की शिकायत के बाद ही केस दर्ज होगा.

दूसरा- पहले बिल में समझौते का प्रावधान नहीं था लेकिन अब मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प मौजूद रहेगा.

तीसरा- पहले प्रावधान था कि यह गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती थी लेकिन अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा लेकिन उसके लिए भी पत्नी की रजामंदी जरूरी होगी.

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