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Karwa Chauth 2018: करवा चौथ पर पति को छलनी में से देखने का मनोवैज्ञानिक और पौराणिक महत्व, जानिए क्यों की जाती हैं चांद की पूजा

Karwa Chauth 2018: करवा चौथ पर महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए सबसे कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन सुहागिनें चांद को अर्घ्य देकर पति को छलनी में से देखती हैं और पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत पूरा करती हैं. जानिए क्या है करवा चौथ पर चांद की पूजा का महत्व, करवा चौथ पर पति को छलनी में से देखने का मनोवैज्ञानिक महत्व और पौराणिक महत्व.

Karwa Chauth 2018
inkhbar News
  • Last Updated: October 25, 2018 16:28:56 IST

नई दिल्ली. कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है. करवा चौथ पर महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए भगवान शिव और मां पार्वती से कामना करती हैं. सारा दिन निर्जला व्रत रख सुगाहिनें शाम को करवाता की कथा सुनती हैं और रात को चांद को देखकर पति के हाथों पानी का घूंट पीकर ही व्रत को संपन्न करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों चांद की पूजा का महत्व है और क्यों महिलाएं पति को चलनी में से देखती हैं. तो आज जानिए पति को चलनी में से देखने का पौराणिक व मनोवैज्ञानिक महत्व.

करवा चौथ पर चांद की पूजा का महत्व
यह तो सभी जानते हैं कि चांद को शांति व शीतलता का प्रतीक माना जाता है. पूजा करने का सबसे पहला महत्व तो यही है. वहीं छांदोग्योपनिषद् के अनुसार चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप है, जिसकी उपासना करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. चंद्रमा की पूजा करने से यह मानसिक तौर पर शांति व तनाव कम करता है. हिंदू पुराणों के अनुसार चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है जिसके पास प्रेम, भाव, शीतलता व प्रसिद्धि का भंडार है. इन गुणों को देखते हुए करवा चौथ पर चांद की पूजा की जाती है.

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करवा चौथ पर पति को छलनी में से देखने का मनोवैज्ञानिक महत्व
हर करवा चौथ पर महिलाएं रात को चांद का अर्घ्य देकर पति के हाथों से जल ग्रहण कर ही अपना व्रत खोलती है. शाम को पूजा के समय ही पत्नी पहले छलनी से चांद को फिर पत्नी को देखती है. कहा जाता है ऐसा करने से पत्नी के हृदय के सभी विचार और भावनाओं को छलनी में से छानकर शुद्ध कर लिया है और अब सिर्फ पत्नी का सच्चा प्यार ही बचा है.

करवा चौथ पर पति को छलनी में से देखने का पौराणिक महत्व
करवा चौथ की कथा में आपने सुना होगा कि बहन को भाई भूखा प्यासा देखकर व्याकुल हो जाते हैं जिसके बाद वह छलनी से रोशनी दिखा कर बहन को सांकेतिक चांद दिखाते हैं. इसी छल के बाद से चांद को छलनी से देखा जाता है. दरअसल छलनी का एक अर्थ होता है छल करने वाला. महिलाओं के साथ कोई छल न हो इसीलिए वह खुद छलनी लेकर चांद को देखती हैं ताकि उन्हें भी कोई झूठा चांद न दिखा दें.

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