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दलित की बारात के लिए प्रशासन को लगानी पड़ी तीन थानों की पुलिस

मध्य प्रदेश में दबंगों में दलितों के प्रति नफरत किस कदर भरी हुई है, उसकी एक बानगी मालवा जिले के माना गांव में देखने को मिली. जहां एक दलित की बारात गांव में से निकलवाने के लिए प्रशासन को तीन थानों की पुलिस लगानी पड़ी. संगीनों के साए में पहली बार इस गांव से दलितों की बारात गुजरी, इतना ही नहीं पुलिस को दुल्हन की विदाई तक वहीं रुकना पड़ा. इस दौरान एसपी खुद मौके पर पहुंचे और वर-वधु को आशीर्वाद देकर उन्हें विदा किया.

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  • Last Updated: April 25, 2017 06:08:48 IST
नई दिल्ली : मध्य प्रदेश में दबंगों में दलितों के प्रति नफरत किस कदर भरी हुई है, उसकी एक बानगी मालवा जिले के माना गांव में देखने को मिली. जहां एक दलित की बारात गांव में से निकलवाने के लिए प्रशासन को तीन थानों की पुलिस लगानी पड़ी. संगीनों के साए में पहली बार इस गांव से दलितों की बारात गुजरी, इतना ही नहीं पुलिस को दुल्हन की विदाई तक वहीं रुकना पड़ा. इस दौरान एसपी खुद मौके पर पहुंचे और वर-वधु को आशीर्वाद देकर उन्हें विदा किया.
 
मालवा जिले के माना गांव में चंदर मेघवाल को अपनी बेटी ममता की शादी के लिए इतना सारा इंतजाम करना पड़ा, ताकि दबंग लोग कोई अड़चन न डाल सके. चंदर ने बताया कि गांव के दबंगों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि शादी में कोई चमक-दमक नहीं होनी चाहिए. दबंगों ने सिर्फ ढोल बजाने की इजाजत दी थी और कहा था कि कोई बैंड-बाजा नहीं होना चाहिए. इतना ही नहीं, बारात को मुख्य सड़क की बजाय पीछे की संकरी गलियों से ले जाने को कहा था. 
 
चंदर ने अपनी शिकायत सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दफ्तर में की. जिसके बाद शादी के लिए पुलिस सुरक्षा सुनिश्चित की गई. तीन थानों की पुलिस को इस काम में लगाया गया. इसके बाद बैंड भी बजा. बाइक पर सवार होकर दुल्हा पहुंचा. आगे-आगे बारात निकली और पीछे-पीछे सुरक्षा में लगाई गई पुलिस की भारी भरकम टीम. 
 
इस इलाके में गुज्जर समुदाय ने सालों से दलित दूल्हों के घोड़ी पर बैठने को लेकर ‘पाबंदी’ लगा रखी है. चंदर मेघवाल को कहा गया था कि अगर उन्होंने ‘नियम’ तोड़ा तो उनके परिवार को सार्वजनिक कुएं से पानी भरने नहीं दिया जाएगा और मंदिरों में भी प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. चंदर ने कहा कि अगर उन्हें फिर से धमकी मिली तो वे प्रशासन में फिर शिकायत करेंगे.

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