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पत्नी पीड़ित मर्दों का अनोखा आश्रम, रखेंगे तभी जब कम से कम 20 केस दर्ज हो

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एक अनोखा मामला देखने को मिला. दरअसल बात ये है कि अभी तक आपने अलग-अलग आश्रम सुने होंगे लेकिन ऐसे अनोखे आश्रम के बारे में पहली बार सुनेंगे जहां पत्नी से पीड़ित लोग रहते हैं.

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  • Last Updated: May 17, 2017 06:04:00 IST
औरंगाबाद: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एक अनोखा मामला देखने को मिला. वैसे तो अभी तक आपने अलग-अलग आश्रम  के बारे में सुना होगा लेकिन जिस आश्रम के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसके बारे में शायद पहली बार सुनेंगे.
 
दरअसल इस ऐसे अनोखे आश्रम में पत्नी से पीड़ित लोग रहते हैं. जी हां औरंगाबाद जिले से तकरीबन 12 किलो मीटर दूर यह आश्रम खुला है इस आश्रम में वो लोग रहते हैं जो पत्नी से पीड़ित रहते हैं और ये लोग कौए की पूजा करते है. कौए को ही अपना देवता मानते हैं. 
 
इतना ही नहीं इस आश्रम में रहने के लिए लिए कई शर्त भी माननी पड़ेगी. पहली शर्त की इस आश्रम में दाखिले के लिए पत्नी पीड़ित पुरुष के ऊपर कम से कम 20 मामले दर्ज होने जरूरी हो. दूसरी गुजारा भत्ता ना चुकाने के कारण पत्नी पीड़ित पुरुष जेल जाकर आया हो. इसके अलावा दूसरी शादी का विचार मन मे ना हो और मामला दर्ज होने के बाद नौकरी चली गयी हो.
 
इस आश्रम के सामने एक हवन कुंड है. जब पत्नी पीड़ित पुरुष अपनी परेशानी लेकर आश्रम में आते है तब वो अपनी समस्या को चिट्ठी में लिखकर आफिस में रखे प्रतीकात्मक कौवे को दिखा कर फिर उसी चिट्ठी को हवन कुंड में डाल कर हवन होता है , पत्नी पीड़ित पुरुष की मान्यता है की इससे उनकी परेशानी जल्द ही दूर हो जाएगी. क्योंकि वो कौवे को अपना देवता मानते है ,इसी कौए को पत्नी पीड़ित पुरुष अगरबत्ती जलाकर ,फूल चढ़ा कर पूजा करते हैं.
 
होती है काउंसलिंग-
हालांकि यह आश्रम 6 महीने पहले ही खुला है लेकिन देश भर से 768 पत्नी पीड़ित पुरुष काउंसिल के लिए आ चुके है. अभी भी इस आश्रम में 6 लोग रहते है.  इस आश्रम में हर शनिवार और  रविवार सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे तक पत्नी पीड़ित पुरूषों के काउंसलिंग किया जाता है. हर दिन इस आश्रम में लोगो की भीड़ बढ़ती जा रही है.
 
अनुभवी वकील भी व्यवस्था-
इसके अलावा इस आश्रम में अनुभवी वकील की व्यवस्था किया गया है यहां पर आने वाले पत्नी से पीड़ित पुरषो को कानूनी सलाह दिया जाता है की किस तरह अपने कानूनी लड़ाई लड़े. इस आश्रम में आने वाले पत्नी पीड़ित पुरुष को खिचड़ी खिलाई जाती है और यह खिचड़ी खुद पत्नी पीड़ित पुरुष बनाते हैं.
 

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