नई दिल्ली. वर्ष 2017-18 के लिए रोजगार और बेरोजगारी पर एनएसएसओ, नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन की पहली वार्षिक रिपोर्ट को रोकने के खिलाफ विरोध करते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग, एनएससी के कार्यवाहक अध्यक्ष ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया. उनके साथ एक और अधिकारि ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस सरकार में एनएसएसओ की ये पहली रिपोर्ट आनी थी जिससे पता चलता की नोटबंदी के दौरान नौकरियों का कितना नुकसान हुआ. बता दें कि एनएससी 2006 में गठित की गई संस्था है जो देश की सांख्यिकीय प्रणालियों के कामकाज की निगरानी और समीक्षा करती है. तीन साल पहले एनएससी के खिलाफ नीती आयोग ने कुछ बातें कही थीं. ये जीडीपी बैक सीरीज डेटा को अंतिम रूप देने पर कही गई थीं.
- पी सी मोहनन और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर जेवी मीनाक्षी को सरकार ने जून 2017 में एनएससी में सदस्य के रूप में नियुक्त किया था. दोनों का दो साल का कार्यकाल था. मोहनन अपने इस्तीफे के समय एनएससी के कार्यवाहक अध्यक्ष थे. अब इसमें केवल अमिताभ कांत काम कर रहे हैं जो नीती आयोग से जुड़े हैं.
- पीसी मोहनन ने अपने बयान में कहा कि, ‘सामान्य तौर पर एनएसएसओ आयोग को निष्कर्ष प्रस्तुत करता है. एक बार इसके अनुमोदित होने के बाद रिपोर्ट अगले कुछ दिनों के भीतर जारी की जाती है. हमने दिसंबर की शुरुआत में रोजगार/बेरोजगारी पर एनएसएसओ के सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी. लेकिन रिपोर्ट को लगभग दो महीने तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.’
- उन्होंने कहा, ‘कुछ समय से देखा गया कि सरकार एनएससी को गंभीरता से नहीं लेती है. कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे लेकिन एनएससी को बाहर रखा गया था. हम अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से करने में असमर्थ थे. 2017-18 के नौकरी के सर्वेक्षण में रोजगार की अच्छी तस्वीर पेश नहीं की गई. यही कारण हो सकता है कि रिपोर्ट को रोक दिया गया.’
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