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FTII के बाद RSS ने IIT को भी बताया हिंदू विरोधी

आर्गेनाइजर के एक लेख में एफटीआईआई के अध्यक्ष के रूप में गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति के विरोध को ‘हिंदू विरोधी’ करार दिए जाने के बाद आरएसएस के मुखपत्र में एक अन्य लेख में आरोप लगाया गया है कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान 'भारत विरोधी' और 'हिंदू विरोधी' गतिविधियों का स्थान बन गए हैं.

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  • Last Updated: July 20, 2015 02:46:38 IST

नई दिल्ली. आर्गेनाइजर के एक लेख में एफटीआईआई के अध्यक्ष के रूप में गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति के विरोध को ‘हिंदू विरोधी’ करार दिए जाने के बाद आरएसएस के मुखपत्र में एक अन्य लेख में आरोप लगाया गया है कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान ‘भारत विरोधी’ और ‘हिंदू विरोधी’ गतिविधियों का स्थान बन गए हैं.

कुछ आईआईएम द्वारा सरकार के कदमों के विरोध के पीछे राजनीतिक उद्देश्य होने का जिक्र करते हुए लेख में कहा गया है कि वामदल और कांग्रेस अब भी प्रतिष्ठित संस्थाओं पर नियंत्रण किए हुए हैं और दोनों दल संचालक मंडल और निदेशकों के जरिए एक संस्थान पर ‘वैचारिक नियंत्रण’ के संचालक (मास्टर) हैं. मुखपत्र में प्रकाशित लेख में आईआईटी बम्बई के संचालक मंडल के अध्यक्ष और जाने माने परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोदकर और आईआईएम अहमदाबाद के अध्यक्ष ए.एम. नाइक की विभिन्न मुद्दों पर चुटकी ली गई है.

इसमें हरिद्वार के पवित्र शहर में आईआईटी रुड़की के छात्रों को मांसाहारी भोजन परोसे जाने और राउरकेला में एनआईटी में छात्रों को सामुदायिक हाल में पूजा आयोजित करने से रोके जाने का दावा किया गया है और दोनों यूपीए सरकार के दौरान होने की बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि करदाताओं के पैसों से पोषित संस्थान ‘भारत विरोधी’ और ‘हिन्दू विरोधी’ गतिविधियों के स्थान बन गए हैं.

आएसएस के मुखपत्र में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि निम्न मनोबल वाले संकाय के लोग छात्रों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. ऐसी गतिविधियां या तो संचालक मंडल के संज्ञान में नहीं आती या इन्हें नजरंदाज किया जाता है. संचालक मंडल को इन संस्थाओं में ‘भारत विरोधी’ और ‘हिन्दू विरोधी’ गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

सप्ताहिक में प्रकाशित लेख में काकोदकर पर चुटकी लेते हुए कहा गया है कि वह मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर निदेशकों की नियुक्ति को लापरवाही से लेने का आरोप लगाते हैं, लेकिन आईआईटी मुम्बई द्वारा शिक्षकों एवं छात्रों के लिए ‘किस ऑफ लव’ मनाने पर एक शब्द भी नहीं कहते. इसमें शिक्षा क्षेत्र में सरकार से बदलाव लाने का आग्रह किया गया है और इसमें हिन्दुत्ववादी संगठनों की विचारधारा समाहित करने का जिक्र किया गया है.

एजेंसी

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