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क्या नीतीश तेजी से घिरते जा रहे लालू यादव से किनारा कर लेंगे ?

रेल मंत्री रहते टेंडर में फायदा पहुंचाने के आरोपों से घिरे लालू यादव और उनके परिवार के अलग अलग 12 ठिकानों पर आज छापे पड़े. इतना ही नहीं 8 घंटे राबडी देवी से और करीब 6 घंटे तेजस्वी यादव से सीबीआई की टीम ने पूछताछ की है.

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  • Last Updated: July 7, 2017 17:23:00 IST
नई दिल्ली: रेल मंत्री रहते टेंडर में फायदा पहुंचाने के आरोपों से घिरे लालू यादव और उनके परिवार के अलग अलग 12 ठिकानों पर आज छापे पड़े. इतना ही नहीं 8 घंटे राबडी देवी से और करीब 6 घंटे तेजस्वी यादव से सीबीआई की टीम ने पूछताछ की है.
 
किसी ज़माने में बिहार के किंग और देश की राजनीति के किंग मेकर रहे लालू यादव का तिलमिलाना लाज़मी भी है. चारा घोटाले में दोषी लालू खुद चुनाव लड़ नहीं सकते औऱ सियासत में बेटे-बेटियों को सेटल किए ज्यादा वक्त बीता भी नहीं था कि सीबीआई की तलवार सिर पर आकर लटक गई है.
 
एक दशक से भी ज्यादा वक्त तक सत्ता से दूर रहने के बाद वापसी हुई भी तो सियासत की गाड़ी हिचकोले मारने लगी है और ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि मिस्टर क्लीन नीतीश कुमार कब तक लालू यादव के साथ बने रहेंगे. अब नीतीश कुमार के सामने इस वक्त कौन से तीन सवाल खड़े हैं.
 
क्या नीतीश, लालू के बेटे को अपनी कैबिनेट से हटा देंगे ? क्या लालू अपने बेटे को कैबिनेट से हटाकर किसी और को डिप्टी सीएम बनवाएंगे या सीबीआई की चार्जशीट दाखिल होने का इंतजार किया जाएगा. ये तीन सवाल ऐसे हैं जिससे ये तय होगा कि बिहार में गठबंधन की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा ? 
 
इसी से ये तय हो सकता है कि नीतीश कहीं बीजेपी की तरफ तो नहीं लौट आएंगे. क्योंकि सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश की पार्टी ने ये तीन विकल्प लालू के सामने रखे हैं, अब गेंद लालू यादव के पाले में है कि वो नीतीश को क्या ऑप्शन चुनने देते हैं. 
 
वैसे कल तक बिहार में ये कहा जा रहा था कि आरजेडी की सीटें महागठबंधन में ज्यादा है. लालू यादव की राजनीति का अपना तरीका है. लिहाजा नीतीश सरकार के मुखिया तो हैं लेकिन दबाव में काम कर रहे हैं. सीएम के अपने कई ड्रीम प्रोजेक्ट्स हैं. जिसमें पटना में गंगा किनारे सड़क बननी है. रिंग रोड की बात है. उसका ठेका मुख्यमंत्री की आपत्ति को दरकिनार कर लालू के इशारे पर उनके बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी ने दोबारा कराया.
 
सड़क निर्माण विभाग के मंत्री तेजस्वी यादव हैं, नीतीश इस घटना के बाद से बुरी तरह चिढ़ गए, क्योंकि ये उनके काम करने के अब तक के तरीके पर सीधा हमला था. इसी के बाद से नीतीश  ने बारी-बारी से लालू पर दबाव बनाना शुरू किया. मोदी के कुछ बड़े फैसले पर आउट पर टर्न जाकर अलग बयान दे दिया.
 
इतना ही नहीं दावा तो यहां तक है कि नीतीश सरकार में कुछ बड़े मंत्रियों ने बिहार में विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी को एक-एक कर लालू परिवार के घोटालों के सबूत थमाए. सुशील मोदी रोजाना लालू को लेकर प्रेस कांफ्रेंस करने लगे. हालत ये हो गई कि पिछले महीने दिन में लालू के 32 ठिकानों पर छापे पड़ चुके हैं.
 
नीतीश-बीजेपी गंठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम रहे सुशील मोदी कह रहे हैं अब तो नीतीश जी को चुप्पी तोड़नी चाहिए. नीतीश लालू परिवार के घपलों-घोटालों को लेकर चुप्पी तोड़ेंगे तो क्या बोलेंगे. इसकी स्क्रिप्ट नीतीश के करीबी लिख रहे हैं.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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