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आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर करें ये खास उपाय, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम

आज 9 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है, इसे गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं. गुरु पूर्णिमा को पूर्ण रूप से गुरुओं के सम्मान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में इसी दिन शिष्‍य अपने गुरुओं की पूजा करते थे.

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  • Last Updated: July 9, 2017 03:48:41 IST
नई दिल्ली : आज 9 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है, इसे गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं. गुरु पूर्णिमा को पूर्ण रूप से गुरुओं के सम्मान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में इसी दिन शिष्‍य अपने गुरुओं की पूजा करते थे.
 
बता दें कि गुरु पूर्णिमा का ये खास दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है. कृष्ण द्वैपायन व्यास संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और साथ ही उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी, इसी कारण उन्हें वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता था. 
 
 
गुरु शब्द का अर्थ जानें
 
आज हम आप लोगों को अपनी खबर के माध्यम से गुरु शब्द का अर्थ बताने जा रहे हैं, शास्त्रों में ‘गु’ शब्द का मतलब- अंधकार या मूल ज्ञान और ‘रु’ शब्द का अर्थ- उसका निरोधक. गुरु को इस कारण से गुरु कहा जाता है क्योंकि केवल गुरु ही है जो इंसान का भविष्य संवारता है, गुरु जो इंसान को अज्ञानता के अंधेरे से ज्ञान की प्रकाश की ओर ले जाता है.
 
उपाय
1) सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें नमन करें. भगवान विष्णु की आराधना कर मंगल जीवन की कामना करें.
2) आप भी अगर पढ़ाई में कमजोर हैं या पीछे रह जा रहे हैं तो आपको गुरु पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ करना चाहिए, साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा कर सकते हैं.
3) अगर आपका भी कारोबार में परेशानी आ रही है तो आपको जरूरतमंद लोगों को पीले अनाज, वस्त्र आदि दान कर सकते हैं.
4)गुरु पूर्णिमा के दिन बृहस्‍पति के महामंत्र ‘ऊं बृं बृहस्‍पतये नम:’ का जाप करें. अगर आप चाहें तो गायत्री मंत्र का भी जाप कर सकते हैं. ऐसा करने से गुरु के अशुभ प्रभाव में कमी तो आती ही है लेकिन साथ ही शीघ्र फल भी मिलता है.
 
 
गुरु पूर्णिमा को करें ये काम
 
1) सुबह स्नान आदि के बाद नाभि और मस्तक पर केसर लगाएं, साथ ही भोजन में भी केसर का प्रयोग करें.
2) ब्राह्मण एवं पीपल के वृक्ष की पूजा करें.
3) गुरु पूर्णिमा के दिन साबूत मूंग मंदिर में दान करें और 12 वर्ष से छोटी कन्याओं के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लें.
 

 

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