लखनऊ. समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ेंगे. सपा ने रविवार को आधिकारिक रूप से अखिलेश यादव को आजमगढ़ लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है. यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती है. पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़े और जीते थे. अब अपने पिता की विरासत संभालते हुए 2019 के आम चुनाव में सपा से खुद अखिलेश यादव यहां से चुनावी मैदान में उतरे हैं.
पहले बताया जा रहा था कि सपा चीफ अखिलेश यादव इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे. खबर आई थी कि वह मायावाती के साथ यूपी में महागठबंधन के लिए प्रचार करेंगे. लेकिन अब इन अटकलों को खारिज करते हुए सपा ने अखिलेश यादव को आजमगढ़ से टिकट दे दिया है. अखिलेश आजमगढ़ से बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले पूर्वी यूपी में सेंध मारने वाले हैं.
बीजेपी का गढ़ है पूर्वी यूपी-
उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं. इसमें पूर्वी यूपी में करीब आधी यानी 41 लोकसभा सीटें आती हैं. पूर्वी यूपी बीजेपी का गढ़ माना जाता है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहीं पूर्वी यूपी के बनारस से चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ है. पिछले चुनाव में सपा सिर्फ यहां की आजमगढ़ सीट ही निकाल पाई थी, वहीं बसपा का तो खाता भी नहीं खुला था. इसके अलावा पूर्वी यूपी की लगभग सभी सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं.
अखिलेश यादव आजमगढ़ से बीजेपी के गढ़ में लगाएंगे सेंध-
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि युवा नेता अखिलेश यादव ने खुद इसलिए आजमगढ़ से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है क्योंकि वे यहां से बीजेपी के पूर्वी यूपी गढ़ में सेंध मारेंगे. अखिलेश आजमगढ़ और इसके आस-पास सपा-बसपा गठबंधन को मजबूत करेंगे. पिछली बार आजमगढ़ से जीतने में भी मुलायम सिंह यादव के पसीने छूट गए थे. इसलिए इस बार अखिलेश किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं.
दूसरी ओर कांग्रेस ने भी खुद को पूर्वी यूपी में मजबूत करने के लिए प्रियंका गांधी को कमान सौंपी है. हालांकि इस चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस शामिल नहीं है. कांग्रेस यूपी में अकेले ही चुनाव लड़ रही है. अखिलेश अपने गठबंधन को यहां किसी भी हालत में मजबूत करना चाहेंगे, ताकि पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र से वे ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतें. पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीजेपी, कांग्रेस और सपा-गठबंधन के बीच अधिकतर सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला दिखने के पूरे आसार हैं.