Inkhabar
  • होम
  • दुनिया
  • …तो कारगिल युद्ध में ही जिंदा नहीं बचते नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ !

…तो कारगिल युद्ध में ही जिंदा नहीं बचते नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ !

कारगिल का एतिहासिक युद्ध भारत के लिए कई मायनों में खास है. ये वही युद्ध था जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना की छाती पर तिरंगा फहराकर कारगिल युद्ध को ऐतिहासिक बना दिया था. आज ये युद्ध कई शहीदों की शहादत का गवाह है, मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि इंडियन एयरफोर्स के हमले में परवेज मुशर्रफ और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी मार दिये जाते.

Nawaz Sharif, kargil war, Pervez Musharraf, Indian Air Force, Government of India, Documents Reveal, India news
inkhbar News
  • Last Updated: July 25, 2017 15:03:21 IST
नई दिल्ली: कारगिल का एतिहासिक युद्ध भारत के लिए कई मायनों में खास है. ये वही युद्ध था जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना की छाती पर तिरंगा फहराकर कारगिल युद्ध को ऐतिहासिक बना दिया था. आज ये युद्ध कई शहीदों की शहादत का गवाह है, मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि इंडियन एयरफोर्स के हमले में परवेज मुशर्रफ और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी मार दिये जाते.
 
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ऐसा दावा किया गया है कि इंडियन एयरफोर्स ने हमले का निशाना पहले से जो तय कर रखा था अगर ऐन वक्त पर उस फैसले को नहीं बदलता तो आज पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी कारगिल युद्ध की भेंट चढ़ गये होते. 
 
दरअसल, 1999 में भारत-पाक के बीच कारगिल युद्ध अपने चरम पर था. 24 जून 1999 की सुबह 8.45 बजे इंडियन एयरफोर्स के जगुआर ने एलओसी के ऊपर उड़ान भरी. पायलट ने लेजर रेंज पर सीमा के उस पार मौजूद पाकिस्तानी ठिकानों को निशाने में ले लिया था. इससे पीछे आ रहे जगुआर को बमबारी करनी थी, मगर पायलट ने अचानक मना कर दिया और हमला रोक दिया गया. 
 
 
इंडियन एक्सप्रेस को मिले दस्तावेज के मुताबिक, बाद में पता चला कि जिस वक्त इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तानी ठिकाने को टारगटे में लिया था, उस वक्त उस ठिकाने पर परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ दोनों मौजूद थे. इस तरह से अगर भारतीय वायुसने बमबारी कर देती तो आज ये दोनों जिंदा नहीं होते. बताया जा रहा है कि इस मामले को सरकार की तरफ से दबा दिया गया. 
 
इंडियन एक्सप्रेस को मिले दस्तावेज में भारत सरकार ने लिखा है कि 24 जून को जगुआर एसीएलडीएस ने पाकिस्तानी प्वाइंट 4388 पर निशाना साधा था. मगर उसी में बैठे एक और कमांडर ने  हमला करने से मना कर दिया. हालांकि, बाद में पता चला कि जिस प्वाइंट पर निशाना साधा गया था, वहां नवाज और मुशर्रफ दोनों मौजूद थे. 
 
 
रिपोर्ट की मानें तो कारगिल युद्ध में गुलटेरी सैन्य ठिकाना पाकिस्तान का प्रमुख ठिकाना था, जो पाक अधिकृत कश्मीर में एलओसी सके 9 किलोमीटर अंदर है. वहीं से सेना को हर तरह की मदद मुहैया कराई जाती थी. 24 जून को पहली बार नवाज शरीफ परवेज मुशर्रफ के साथ सैन्य ठिकाने पर गए थे. वहीं उनके भाग्य ने साथ दे दिया और वो भारतीय वायुसेना की टारगटे से बच गये. 
 
 
 

Tags