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Janmashtami 2017 : जानें, क्या है जन्माष्टमी का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

देशभर में भक्त हिन्दुओं का सबसे प्रसिद्ध त्योहार जन्माष्टमी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, इस त्योहार को श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

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  • Last Updated: August 10, 2017 05:25:57 IST
नई दिल्ली : देशभर में भक्त हिन्दुओं का सबसे प्रसिद्ध त्योहार जन्माष्टमी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, इस त्योहार को श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. बता दें कि लड्डू गोपाल को धरती पर भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म श्रावण मास के आठवें दिन यानी अष्टमी पर मध्यरात्रि में हुआ था.
 
क्या है जन्माष्टमी का महत्व
 
श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में कंस नाम का एक निर्दयी राजा का राज था जिस कारण प्रजा कभी उससे खुश नहीं थी. कंस अपनी छोटी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था, निर्दयी राजा ने अपनी बहन का विवाह वासुदेव के साथ करा दिया, उसी वक्त एक भविष्यवाणी हुई कि देवकी का आठवां बेटा उसकी मौत का कारण होगा. 
 
 
ये सुनने के बाद निर्दयी और क्रुर राजा कंस ने अपनी बहन और वासुदेव को बंदी बनाया और कारागार में डलवा दिया, इस दौरान कंस ने देवकी द्वारा जन्म दी गई 6 संतानों का बड़ी ही बेरहमी से वद कर दिया. देवकी की सातवीं संतान के बारे में कंस को पता चला कि उनका गर्भपात हो गया लेकिन वह रहस्यमय ढंग से वृंदावन की राजकुमारी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर चुके थे और बड़े होकर भगवान कृष्ण के भाई बलराम बने.
 
लड्डू गोपाल के जन्म के वक्त वासुदेव कृष्ण को नंद और यशोदा के पास ले जाने के लिए वृंदावन की ओर प्रस्थान किया लेकिन उस दिन तूफान और भारी बारिश के वजह से एक टोकरी को अपने सिर पर रख नदी पार करी और नदी पार करने में शेषनाग ने भी उनकी मदद की. वृंदावन पहुंचने के बाद वासुदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को नंद को सौंप दिया और वहां से एक बच्ची के साथ वापस कारागार में लौट आए. 
 
कंस को जब देवकी की इस संतान के बारे में पता चला तो वह उसे भी मारने के लिए गया तो बच्ची ने मां का रूप ले लिया और फिर कंस की मृत्यु की चेतवानी दी. बता दें कि कुछ सालों बाद लड्डू गोपाल ने कंस का वध किया और फिर श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा एक बार फिर खुशहाल राज्य बन गया.
 
 
क्या होगा समय 
 
14 अगस्त को अष्टमी तिथि 19.45 (7.45p.m) पर आरंभ होगी और 15 अगस्त को 17.39 (5.39 p.m) तक रहेगी, इसके बाद कृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र रहित होगी. 15 अगस्त शाम 5.39 बजे के बाद रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगा, इसलिए 14 अगस्त को ही भक्त उपवास रखें. भाद्रपद अष्टमी पर 15 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. वहीं वैष्णवजन सूर्योदय तिथि अष्टमी वाले दिन यानि 15 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे.

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