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Janmashtami 2017 : रोहिणी नक्षत्र में नहीं मनाया जाएगा जन्माष्टमी का त्योहार

हिन्दुओं का सबसे प्रसिद्ध त्योहार जन्माष्टमी को लेकर भक्त बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लड्डू गोपाल का जन्म भाद्र पद कृष्ण पक्ष अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र वृष राशि मे अर्ध रात्रि को हुआ था.

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  • Last Updated: August 11, 2017 05:30:28 IST
नई दिल्ली : हिन्दुओं का सबसे प्रसिद्ध त्योहार जन्माष्टमी को लेकर भक्त बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लड्डू गोपाल का जन्म भाद्र पद कृष्ण पक्ष अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र वृष राशि मे अर्ध रात्रि को हुआ था. यही कारण है कि हर साल भाद्रपद अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. 
 
इस साल अर्ध रात्रि व्यापिनी अष्टमी तिथि 14 अगस्त 2017 को होगा, सोमवार को 5 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी और 15 अगस्त 2017 3 बजकर 26 मिनट तक होगी. व्यापिनी अष्टमी तिथि 14 अगस्त को होगी, इसी रात को जन्मोत्सव का त्योहार भी बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. बता दें कि इस वर्ष अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र का अभाव है.
 
 
क्या है जन्माष्टमी का महत्व
 
श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में कंस नाम का एक निर्दयी राजा का राज था जिस कारण प्रजा कभी उससे खुश नहीं थी. कंस अपनी छोटी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था, निर्दयी राजा ने अपनी बहन का विवाह वासुदेव के साथ करा दिया, उसी वक्त एक भविष्यवाणी हुई कि देवकी का आठवां बेटा उसकी मौत का कारण होगा. 
 
ये सुनने के बाद निर्दयी और क्रुर राजा कंस ने अपनी बहन और वासुदेव को बंदी बनाया और कारागार में डलवा दिया, इस दौरान कंस ने देवकी द्वारा जन्म दी गई 6 संतानों का बड़ी ही बेरहमी से वद कर दिया. देवकी की सातवीं संतान के बारे में कंस को पता चला कि उनका गर्भपात हो गया लेकिन वह रहस्यमय ढंग से वृंदावन की राजकुमारी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर चुके थे और बड़े होकर भगवान कृष्ण के भाई बलराम बने.
 
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लड्डू गोपाल के जन्म के वक्त वासुदेव कृष्ण को नंद और यशोदा के पास ले जाने के लिए वृंदावन की ओर प्रस्थान किया लेकिन उस दिन तूफान और भारी बारिश के वजह से एक टोकरी को अपने सिर पर रख नदी पार करी और नदी पार करने में शेषनाग ने भी उनकी मदद की. वृंदावन पहुंचने के बाद वासुदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को नंद को सौंप दिया और वहां से एक बच्ची के साथ वापस कारागार में लौट आए. कंस को जब देवकी की इस संतान के बारे में पता चला तो वह उसे भी मारने के लिए गया 

क्या होगा समय 

14 अगस्त को अष्टमी तिथि 19.45 (7.45p.m) पर आरंभ होगी और 15 अगस्त को 17.39 (5.39 p.m) तक रहेगी, इसके बाद कृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र रहित होगी. 15 अगस्त शाम 5.39 बजे के बाद रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगा, इसलिए 14 अगस्त को ही भक्त उपवास रखें. भाद्रपद अष्टमी पर 15 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. वहीं वैष्णवजन सूर्योदय तिथि अष्टमी वाले दिन यानि 15 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे.

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