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गणेश चतुर्थी 2017 : पूजा करते समय गणपति बप्पा पर भूलकर भी न चढ़ाएं तुलसी

आज 25 अगस्त से गणेशोत्सव की शुरुआत हो गई है, आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पूजा के समय ऐसी कौन सी गलती है जो आपको भूलकर भी नहीं करनी चाहिए. बप्पा का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था.

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  • Last Updated: August 25, 2017 03:48:51 IST
नई दिल्ली : आज 25 अगस्त से गणेशोत्सव की शुरुआत हो गई है, आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पूजा के समय ऐसी कौन सी गलती है जो आपको भूलकर भी नहीं करनी चाहिए. बप्पा का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था. 
 
पूरे भारत में इस पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. विघ्नहर्ता की मूर्ति स्थापना करने के बाद पूजा करते समय एक बात जिसका आपको विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए और वो ये है कि पूजा सामाग्री एकत्रित करते समय तुलसी को शामिल न करें क्योंकि बप्पा को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है.
 
 
ऐसा न करने के पीछे ये है कहानी
 
पौकाणिक कथा के अनुसार, गणपति जी गंगा किनारे बैठकर तपस्या कर रहे थे और वहीं तुलसी घूम रही थीं, ऐसा माना गया है कि तुलसी उन्हें देखकर उनकी ओर आकर्षित हो गईं और फिर मन ही मन उन्हें अपना पति बनाने के बारे में सोच लिया था. वहीं दूसरी ओर गणपति जी तपस्या में लीन थे लेकिन तुलसी से रहा नहीं गया और अपनी बात कहने के लिए उनका ध्यान भंग कर दिया.
 
गणपति जी का ध्यान जब भंग हो गया तो तुलसी जी ने उन्हें अपने दिल की बात सुनाई, बड़ी ही शालीनता से गणपति जी ने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा कि वह ऐसी लड़की से विवाह करेंगे जिसके गुण उनकी मां पार्वती से मिलेंगे.
 
गणपति जी की ये बात सुनकर तुलसी जी को लगा ये उनका अपमान हो गया और उन्हें गुस्सा आ गया. वह इतनी क्रोधित हो गई कि तुलसी जी ने गणपति जी को श्राप दे दिया. तुलसी जी ने गणपति जी को श्राप देते हुए कहा कि आपका विवाह आपकी इच्छा से बिल्कुल उलट होगा और दो शादियां होंगी. तुलसी जी की ये बात सुनकर गणपति जी भी क्रोधित हो गए और उन्होंने भी तुलसी जी को श्राप दे दिया कि तुम्हारा विवाह किसी राक्षस के साथ होगा.
 
…तो इस वजह से गणपति जी को सबसे ज्यादा प्रिय है ‘मोदक’, भोग लगाते समय रखें इस बात का खास ख्याल
 
गणपति जी के श्राप से तुलसी जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर उन्होंने तुरंत गणपति जी से माफी मांगी.  माफी मांगने के बाद गणेश जी का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण नाम के राक्षस से होगा.
 
गणपति जी ने कहा कि तुम श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाओगी, कलयुग में तुम जीवन और मोक्ष देने वाली बनोगी. बता दें कि उन्होंने आगे बोला लेकिन मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाने को अशुभ माना जाएगा. इसी के बाद से भगवान गणेश को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती.
 

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