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India News की पड़ताल- गोरखपुर के BRD हॉस्पिटल में धड़ल्ले से जारी है ये गोरखधंधा

बीते 30 दिनों में गोरखपुर के BRD हॉस्पिटल में 386 बच्चों की मौत हो चुकी है. मौत का ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. सीएम योगी के शहर का ये वही बदनाम अस्पताल है जहां ऑक्सीजन की सप्लाई ठप हो जाने से 24 घंटे में 40 बच्चों ने दम तोड़ दिया था.

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  • Last Updated: August 31, 2017 17:45:08 IST
गोरखपुर: बीते 30 दिनों में गोरखपुर के BRD हॉस्पिटल में 386 बच्चों की मौत हो चुकी है. मौत का ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. सीएम योगी के शहर का ये वही बदनाम अस्पताल है जहां ऑक्सीजन की सप्लाई ठप हो जाने से 24 घंटे में 40 बच्चों ने दम तोड़ दिया था. इसके बाद कार्रवाई भी हुई और हालात के सुधरने का दावा भी किया गया लेकिन इंडिया न्यूज़ ने पड़ताल की तो इन दावों की पोल खुल गई.
 
इलाज में लापरवाही और कमीशनखोरी के लिए बदनाम गोरखपुर के BRD हॉस्पिटल में आज भी हालत वैसे ही हैं. यही नहीं, मरीजों को लूटने का गोरखधंधा भी धड़ल्ले से जारी है. इसी अस्पताल के सरकारी लैब में जहां 150 रुपए वाली जांच 100 रुपए में होती है और यहां की सारी मशीनें भी ठीक हैं. सरकारी लैब के पैथोलॉजी इंचार्ज संजय मिश्रा से पूछा कि सरकारी अस्पताल में प्राइवेट लैब आखिर किसके आदेश पर चल रही है तो उनकी जुबान पर भी सिलने लगी.
 
 
अब तक आपने ये सुना होगा कि सरकारी अस्पताल से लोगों को जांच के लिए बाहर के प्राइवेट लैब में भेजा जाता है लेकिन यहां तो अस्पताल के अंदर ही प्राइवेट जांच घर चल रहा है और वो भी जिस जांच के लिए सरकारी अस्पताल की लैब में 100 रुपए लिए जाते हैं. उसी अस्पताल में बैठ कर इस लैब के कर्मचारी डेढ़ सौ रुपए वसूल रहे हैं.
 
सरकारी लैब के पैथोलॉजी इंचार्ज संजय मिश्रा से पूछा कि सरकारी अस्पताल में प्राइवेट लैब आखिर किसके आदेश पर चल रही है तो उनकी जुबान पर भी सिलने लगी. अब सवाल उठता है कि गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऐसे कितने गोरखधंधे चल रहे हैं और कितने गोरखधंधों पर सरकार जांच बिठाएगी. इंडिया न्यूज़ की पड़ताल से ये साफ हो गया है कि योगी सरकार को किसी भी जांच से पहले अस्पताल में फैले भ्रष्टाचार के कैंसर का इलाज पहले करना होगा. तब जाकर मासूमों की मौत का सिलसिला थमेगा. 
 
क्या होता है ABG टेस्ट ?
BRD हॉस्पिटल के प्राइवेट लैब में हम जिस टेस्ट की बात कर रहे हैं वो है ABG टेस्ट. ABG का मतलब होता है आर्टिरियल ब्लड गैस टेस्ट. इससे मरीज की धमनियों में ऑक्सीजन और कार्बनडाई ऑक्साइड की मात्रा का पता लगाया जाता है. अगर टेस्ट में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम पाई जाती है तो मरीज को ऑक्सीजन या फिर INCUBATOR में रखा जाता है. कई बार इमरजेंसी हालात में ये जांच 24 घंटे में तीन से चार बार कराई जाती है. बीआरडी अस्पताल का प्राइवेट लैब सिर्फ ABG की ही जांच करता है.

 
 
बीआरडी हॉस्पिटल के अंदर सिर्फ प्राइवेट लैब का गोरखधंधा ही नहीं चल रहा. मरीजों को टेस्ट के लिए बाहर के प्राइवेट लैब में भेजने का जाना-माना खेल भी जारी है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का दावा है कि अस्पताल में सबकुछ ठीक है लेकिन मरीजों के अटेंडेंट हैरान हैं कि इतने बड़े कांड के बाद भी अस्पताल आखिर क्यों नहीं सुधरा ?
 
 
बच्चों की मौत को लेकर गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल का इतिहास काला रहा है. साल 2005 से लेकर अब तक इस अस्पताल में 5 हजार से ज्यादा मासूमों की मौत हुई है. हैरानी की बात ये है कि 2005 से अब तक बीआरडी अस्पताल में दिमागी बुखार के मरीजों पर दो हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन असल बीमारी पकड़ में नहीं आई. यानी साफ है कि बीमारी से लड़ने के नाम पर यहां भ्रष्टाचार का बड़ा खेल चल रहा है. इस साल सिर्फ अगस्त महीने में ही अस्पताल में 386 बच्चों की मौत हुई है.

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